मोदी सरकार के रोजगार के बड़े बड़े दावों के बीच, हकीकत का खुलासा करती आई.एल.ओ. की रिपोर्ट

नई दिल्ली। मार्च में जारी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के कुल बेरोजगारों में 80 फीसदी युवा हैं।

‘द इंडिया इंपलॉयमेंट रिपोर्ट 2024′ के मुताबिक पिछले करीब 20 सालों में भारत में युवाओं के बीच बेरोजगारी लगभग 30 फीसदी बढ़ चुकी है। साल 2000 में युवाओं में बेरोजगारी दर 35.2 फीसदी थी जो 2022 में बढ़कर 65.7 फीसदी हो गई।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन डिवेलपमेंट (आईएचडी) ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है।रिपोर्ट कहती है कि हाई स्कूल या उससे ज्यादा पढ़े युवाओं में बेरोजगारी का अनुपात कहीं ज्यादा है।

रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीम के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए बताया कि, साल 2000 से 2019 के बीच युवाओं के बीच बेरोजगारी लगातार बढ़ी जबकि कोविड महामारी के बाद बेरोजगारी दर में कमी आई।

रिपोर्ट कहती है, “युवा महिलाओं के बेरोजगार होने की संभावना पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। 20-24 वर्ष और 25-29 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में यह चलन सबसे ज्यादा पाया गया है।”

भारत में रोजगार मुख्यतया या तो अनौपचारिक है या फिर लोग अपना काम कर रहे हैं। साल 2000 से 2022 के बीच औपचारिक नौकरी कर रहे लोगों की संख्या मात्र 10 फीसदी रही, जबकि 90 फीसदी लोग या तो अपना काम कर रहे हैं, या फिर अनौपचारिक रोजगार कर रहे हैं।

साल 2000 के बाद से औपचारिक रोजगार का अनुपात लगातार बढ़ रहा था, लेकिन 2018 के बाद इसमें भारी गिरावट आई है। ठेके पर आधारित नौकरियों में इजाफा हुआ है, जबकि बहुत कम लोग नियमित और लंबी अवधि के अनुबंध वाली नौकरियों में हैं।

रिपोर्ट कहती है, “नौकरीपेशा लोगों का एक बहुत ही छोटा हिस्सा है जिन्हें लंबी अवधि के अनुबंध मिले हैं।”

रिपोर्ट बताती है कि 75 फीसदी युवा ईमेल में अटैचमेंट के साथ डॉक्युमेंट भेजने तक में सक्षम नहीं हैं। 60 फीसदी युवा कंप्यूटर पर कॉपी-पेस्ट जैसे बहुत सामान्य काम भी नहीं कर पाते, जबकि 90 फीसदी युवाओं को स्प्रैडशीट पर गणित के फॉर्म्युलों का प्रयोग करना नहीं आता है।

2021 में भारत में युवाओं की आबादी 27 फीसदी थी, जो 2036 तक घटकर 21 फीसदी हो जाएगी। यानी हर साल 70 से 80 लाख युवा रोजगार चाहने वालों की लाइन में जुड़ रहे हैं। लेकिन आमतौर पर उपलब्ध रोजगार कम गुणवत्ता वाला है और अधिकतर अनौपचारिक काम ही उपलब्ध है।

नागेश्वरन ने कहा कि फिलहाल नौकरियां देने का ज्यादातर काम सरकार ने संभाल रखा है, जबकि उद्योग जगत को इस मामले में बढ़त लेने की जरूरत है। साथ ही, रिपोर्ट में गैर-कृषि रोजगार बढ़ाने के लिए नीतियों में बदलाव की जरूरत पर भी जोर दिया गया है, ताकि आने वाले सालों में बेरोजगारों की लाइनों को और लंबा होने से रोका जा सके।

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