सत्र न्यायालय ने मामले में सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार और पीड़ित की विधवा ने हाई कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील की थी। अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने अपराध में शामिल पांच मुख्य आरोपियों ऋषिकेश, निजिन उर्फ कुंजप्पू, प्रशांत उर्फ कोचू, रसंत और ब्रशनेव को बरी करने के फैसले को खारिज कर दिया और उन्हें आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दोषी ठहराया। पीठ ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उनमें से प्रत्येक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

पीड़ित दीपक जनता दल (यूनाइटेड) का पदाधिकारी था और पझुविल सेंटर में राशन की दुकान चलाता था। अभियोजन पक्ष ने कहा था कि 24 मार्च, 2015 की रात को पांचों आरोपी एक ओमनी वैन में वहां पहुंचे और उनमें से चार ने उस पर घातक हथियारों से हमला किया। हमले में लगी चोटों के कारण दीपक की मौत हो गई। अभियोजन पक्ष के अनुसार, दीपक पर हमला मामले के छठे आरोपी पर सोशलिस्ट जनता दल के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से किए गए हमले का बदला लेने के लिए किया गया था। अभियोजन पक्ष ने कहा था कि आरोपियों को संदेह है कि छठे आरोपी शिवदास की हत्या के प्रयास के पीछे दीपक का हाथ था।