भारत सहित 143 देशों ने फिलिस्तीन को स्थाई सदस्य बनाने के पक्ष में दिया वोट, इजरायल भड़का

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र संघ में अरब देशों ने यूएन की जनरल असेंबली में फिलिस्तीन को यूएन का स्थाई सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे भारत समेत 143 देशों का समर्थन मिला। वहीं अमेरिका, इजराइल समेत 9 देशों ने ही प्रस्ताव का विरोध किया। इस प्रस्ताव के पास होने से फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए अर्हता पूरी कर ली है।

इजराइली राजदूूत गिलाद एर्दान ने फिलिस्तीन को सदस्य बनाने वाले प्रस्ताव को यूएन चार्टर का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा, “यह दिन यूएन की बदनामी के दिन के तौर पर याद किया जाएगा। मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया इस पल, इस अनैतिक काम को याद रखे। यह विनाशकारी वोट है। आप अपने हाथों से यूएन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।”

उन्होंने हमास का जिक्र करते हुए कहा, “यूएन ने मॉडर्न नाजियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। इसलिए मैं आपको आपके वोट का नतीजा बताने आया हूं। आप जल्द ही फिलिस्तीन के आतंकी देश के राष्ट्रपति याह्या सिनवार से मुलाकात करेंगे। जो आप लोगों को धन्यवाद देगा।”

कतर के न्यूज चैनल अलजजीरा के मुताबिक, दुनिया में स्वतंत्र देश की पहचान पाने की दिशा में यह फिलिस्तीन का पहला कदम है। वोटिंग से पहले यूएन में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने 193 देशों से फिलिस्तीन के पक्ष में वोटिंग करने को कहा था। उन्होंने देशों से अपील की थी कि आपके आज के फैसले से हमें जंग के समय में स्वतंत्रता मिल जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता तो नहीं दिला सकती, हालांकि इससे फिलिस्तीन को कुछ विशेष अधिकार मिल सकते हैं। सितंबर 2024 से फिलिस्तीन असेंबली हॉल में UN के सदस्यों के बीच बैठ सकेगा, लेकिन उसे UN के किसी भी प्रस्ताव में वोटिंग करने का अधिकार नहीं होगा।

स्थाई सदस्यता का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र से पास होने के बाद  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाएगा। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक यहां अमेरिका इस पर वीटो लगा देगा। ऐसा पहले भी हो चुका है। दरअसल, इसी साल अप्रैल में फिलिस्तीन को परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किया गया था। प्रस्ताव के पक्ष में भी 12 वोट पड़े थे। लेकिन अमेरिका के वीटो के कारण प्रस्ताव पास नहीं हुआ था। अब एक संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने सिक्योरिटी काउंसिल से अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि प्रस्ताव के पास होने से पता चलता है, कि दुनिया फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता के साथ है। संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण सदस्यता हासिल करने के लिए फिलिस्तीन की यह दूसरी कोशिश थी। इससे पहले 2011 में भी फिलिस्तीन को सदस्यता देने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वोटिंग हुई थी। उस समय भी अमेरिका ने प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था।

फिलिस्तीन की मेंबरशिप का प्रस्ताव पास होने पर चीन ने खुशी जताई है। साथ ही अमेरिका की आलोचना भी की है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रतिनिधि फू कोंग ने कहा कि अमेरिका बेरहमी से फिलिस्तीन के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर रहा है। इससे फिलिस्तीनियों के साथ हुए अन्याय को सुधारने में कठिनाई आ रही है।

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