अमेरिका के अनैतिक दबाव के आगे झुकने से भारत का इनकार, कृषि और डेयरी क्षेत्र के साथ नहीं होगा कोई समझौता

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ़ लगाने की तय की गई नौ जुलाई की अंतिम तारीख़ को आगे बढ़ाकर अब एक अगस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता जारी है। दोनों की ओर से एक अंतरिम ट्रेड डील की उम्मीद की जा रही है जिसकी घोषणा जल्द हो सकती है।

हालांकि अमेरिका लगातार कृषि और डेयरी प्रोडक्ट के लिए भारतीय बाज़ार खोले जाने की मांग कर रहा है। भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए न झुकने का संकेत दिया है।

भारत सरकार ने ‘नॉन-वेज मिल्क’ पर सांस्कृतिक चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आयात की इजाज़त देने से इनकार कर दिया है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच साल 2030 तक व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, कृषि क्षेत्र और डेयरी उत्पादों को लेकर भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस पर  कोई भी मोल-भाव सीधे स्वीकार कर ही नहीं सकता।

भारत अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट के लिए कड़े नियम लागू करना चाहता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आयातित दूध ऐसी गायों के हों जिन्हें जानवरों के मांस या ख़ून वाला चारा न खिलाया जाता हो।

डेयरी को लेकर भारत ने रक्षात्मक रुख़ अपनाया है क्योंकि यह क्षेत्र देश में करोड़ों लोगों को आजीविका मुहैया कराता है, जिनमें अधिकांश छोटे किसान हैं, हालांकि, अमेरिका ने इसे ग़ैर ज़रूरी व्यापारिक बाधाएं (ट्रेड बैरियर्स) कहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बातचीत विफल हो जाती है, तो इसकी कम संभावना है कि ट्रंप भारत पर 26% टैरिफ़ दर को फिर से लागू करेंगे।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि कृषि और पशुपालन भारतीयों के लिए व्यापार नहीं जीवन पद्धति और संस्कृति है जिसके साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा अमेरिका लगातार भारत को दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है जिसके तहत उसने पाकिस्तान को फंडिंग भी दी जबकि चीन अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी है और पाकिस्तान चीन की गोद में बैठा हुआ है। 

अमेरिका भारत के साथ अपने तक़रीबन 45 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए कृषि और डेयरी निर्यात के लिए दरवाज़े खोले जाने की मांग कर रहा है।

 

हालांकि ट्रंप प्रशासन की ओर से 23 देशों को चिट्ठी भेजी गई है और टैरिफ़ की समयसीमा एक अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई है.

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