कोटद्वार। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने शीर्ष न्यायालय के 14 नवंबर 2025 को मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच के फैसले का स्वागत किया और कहा कि अभी इस फैसले की पूरी समीक्षा की जानी बाकी है मगर राष्ट्रीय उद्यानों और खास तौर पर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के लिए ये फैसला मील का पत्थर साबित होगा।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने जंगल के कानूनों की व्यावहारिक समीक्षा की है, जिससे कंडी मार्ग के खुलने की राह बन गई है।
एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि 80 पृष्ठों के आदेश की यद्यपि अभी समीक्षा की जानी शेष है फिर भी शीर्ष न्यायालय ने मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए इको टूरिज्म और जंगल के रास्तों, राष्ट्रीय उद्यानों के अंदर स्थित धार्मिक स्थानों में आवागमन के साथ साथ बिजली,पानी आदि जैसी आधारभूत व्यवस्थाओं के लिए राज्यों को सुसंगत नियम बनाने के आदेश दिये हैं।
उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने भाजपा शासनकाल में वर्तमान कांग्रेसी नेता हरक सिंह के कॉर्बेट के अंदर किये गए घोटाले की पुष्टि की है और करीब छह हजार के करीब पेड़ों के काटे जाने से 6 करोड़ 20 लाख के नुकसान के साथ अन्य निर्माण कार्यों से हुए नुकसान का आंकलन करीब 22 करोड़ रुपए किया है। यानी करीब करीब 29 करोड़ के घोटाले की कहानी अकेले कॉर्बेट टाइगर सफारी में वन मंत्री और अधिकारियों बनाई गई, जो कि नवोदित राज्य के लिए खेद जनक है।

उन्होंने कहा कि रामनगर के सामाजिक कार्यकर्ता पी सी जोशी ने कंडी रोड को लेकर हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है, और कमोवेश उनकी याचिकाओं में हुए अदालती आदेशों का राज्य की भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने अनुपालन करना उचित नहीं समझा उल्टे ही दो चार छुटुर पुटूर याचिकाओं को खत्म करवाने की बजाय उनकी आड़ में कंडी रोड का पूर्व का पक्का निर्माण भी रोके रखा।
उन्होंने कहा कि कंडी रोड निर्माण में रोड़ा अदालतें नहीं भाजपा और कांग्रेस के नेता हैं, जो इस मामले में तरह तरह के बहाने बना रहे हैं।
एडवोकेट जोशी ने कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार के एक ऐसे आरोपी को जो स्वयं गुनाह कबूल कर सबका भंडाफोड़ करने की बात कहता है, 2027 के चुनाव में मुख्य नेता बना कर चुनाव लड़ेगी तो वोट कौन देगा और फिर ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ने की कोशिश करेगी।