लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण प्रताप नगर में एक और गर्भवती महिला की मौत हो गई है। बुधवार सुबह प्रसव पीड़ा होने पर रामचंदद्री देवी ,उम्र 32 पत्नी धनपाल को 9:00 बजे चौंड पहुंचाया गया था। वहां तैनाद डॉक्टर ने सामान्य प्रसव होने की बात कही थी, लेकिन करीब 12:00 बजे जब रामचंद्री की हालत बिगड़ने लगी तो डॉक्टर ने उसे रेफर करने की सलाह देते हुए आपातकाल एंबुलेंस सेवा 108 को फोन किया । करीब पौने एक बजे एंबुलेंस अस्पताल पहुंची, और गर्भवती को लेकर जिला अस्पताल बौराडी के लिए रवाना हुई।
चांटी के पास उसे दूसरी एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया । वहीं से कुछ दूर जाते ही डोबरा के पास गर्भवती ने दम तोड़ दिया। महिला के साथ बौराड़ी अस्पताल पहुंची रामचंद्री की भाभी सीता देवी ने बताया कि उसे पहले ही रेफर कर देते तो शायद उसकी जान बच सकती थी। उन्होंने बताया कि रामचंद्री का यह चौथा प्रसव था । उसका एक बेटा 9 साल और एक बेटी 3 साल की है । एक बेटी की पैदा होते ही मौत हो गई थी।
पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। स्थानीय लोगों की ओर से लगातार मांग किए जाने पर भी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो पा रही है ।इसका खामियाजा गर्भवती महिलाओं के साथी अन्य मरीजों को भी भुगतना पड़ रहा है ।जिले में स्वास्थ्य सेवाएं ठीक नहीं होने के कारण प्रताप नगर ब्लॉक के ग्राम खैरवाल की एक गर्भवती महिला की भी आठ अक्टूबर को मौत हो गई थी।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि हम गढ़वालियों को यह समझना चाहिए कि हमारे राम मंदिर हमारे अस्पताल और हमारे विद्यालय हैं । अगर हमने इनकी ओर ध्यान नहीं दिया तो हमारे हालात और खराब होने वाले हैं । उन्होंने कहा कि सक्षम गढ़वाली लगातार पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं, और गढ़वाल का असली पहाड़ी समाज आज भी पहाड़ में रह रहा है ।
मगर उसके लिए स्वास्थ्य और शिक्षा का क्या हाल है, यह बताना बहुत मुश्किल है।
कई कई किलोमीटर तक डंडियों पर मरीज को लाने के बाद भी सही इलाज पहाड़ पर नहीं मिल पाता है , और उसे जबरदस्ती मैदान आना पड़ता है ।
उन्होंने कहा कि श्री राम के नाम पर वोट बटोर रहे दल पहाड़ के विकास का पैसा भी मैदान में ही खर्च कर रहे हैं । एम्स जैसा अस्पताल जो की पहाड़ पर बनना चाहिए था को भी मैदान में ही बनाया गया। आज भी पहाड़ में एक भी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल तक नहीं है जिसे समझा जा सकता है कि पहाड़ में स्वास्थ्य की क्या दुर्गति है उन्होंने कहा कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज जैसे कॉलेज से भी गंभीर मरीज अधिकतर देहरादून ही रेफर किया जा रहे हैं , जिससे पहाड़ के लोगों की दुश्वारियां बढ़ी हैं।