आखिर कांग्रेस और विपक्ष से इतना क्यों डर रही है मोदी सरकार जबकि दावा कर रही है होने का चार सौ पार

नई दिल्ली। चुनाव में बढ़ते तापमान के बीच कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों और उनके नेताओं को ईडी सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों से भी मुकाबला करना पड़ रहा है। इसमें दिक्कत यह है कि कांग्रेस जैसी पार्टी के खाते सीज कर दिए गए हैं जिससे इस लोकसभा चुनाव में होने वाले खर्च में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखण्ड के कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें आयकर विभाग ने व्यक्तिगत रूप से मुंबई हाजिर होने को कहा है। ऐसे ही कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को ईडी ने पेश होने के लिए नोटिस भेजा है।

ताजे मामले में आईटी विभाग ने कांग्रेस को 1700 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी किया है। ताजे नोटिस में कांग्रेस से 2017-18 से 2020-21 के लिए ये राशि टैक्स के तौर पर जुर्माना और ब्याज के साथ मांगी गई है। इस के चलते पार्टी की लोकसभा चुनाव से पहले चिंता और बढ़ गई है।

जाहिर है कि चुनाव के समय विभिन्न एजेंसियों की हरकतें केवल चुनाव को प्रभावित करने के लिए है।

जानकर बता रहे हैं कि ये मामले इतने बड़े और संगीन नहीं हैं जितने आयकर विभाग द्वारा पैदा कर दिए गए हैं, इन मामलों में कांग्रेस को जब तक राहत मिलेगी तब तक चुनाव समाप्त हो चुके होंगे और कांग्रेस को जो असली नुकसान हों चुका होगा उसकी भरपाई मुश्किल होगी।

तृणमूल कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें भी आयकर विभाग से नोटिस मिले हैं। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चुनाव के वक्त ही गिरफ्तार किए गए। विपक्ष की नेता ने बेल न मिल पाने पर कहा कि दरअसल मामला मनी लांड्रिंग का नहीं पॉलिटिकल लांड्रिंग का है। कश्मीर के पूर्व राज्यपाल के द्वारा एक कम्पनी द्वारा घूस देने की शिकायत पर उल्टा ही पूर्व राज्यपाल के ठिकानों पर छापेमारी की गई, मगर एजेंसियों ने जिस कंपनी की शिकायत की गई उसके दफ्तर में नोटिस तक भेजा हो ऐसी कोई खबर नहीं है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि चुनाव के समय विपक्षी दलों के साथ एजेंसियों के माध्यम से जो किया जा रहा है इसपर अमरीका के बाद संयुक्त राष्ट्र भी अपनी चिंतायें जाहिर कर चुका है, जिस वजह से देश दुनिया में भारत की लोकतांत्रिक देश की छवि को धक्का लगा है।

पार्टी का मानना है कि हो सकता है कि एजेंसियों द्वारा जिनको समन भेजे गए हों वो दोषी हों, मगर सालों राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी से पूछताछ को लगभग साल गुजर गया,मामला फिर फाइलों में कैद है, वडेरा केस में खुलासा हुआ कि डीएलएफ ने भाजपा को पैसे दिए और जिनको खुद देश के प्रधानमंत्री मोदी सार्वजनिक सभाओं में चक्की पिसवाने की बात कर रहे थे, वे आज महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र में अजित पंवार, छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल जिनपर हजारों करोड़ के घोटालों के आरोप हैं भाजपा में आते ही एजेंसियों द्वारा इनपर लगे आरोपों को खत्म कर दिया गया, यह स्पष्ट करता है कि मोदी राज में एजेंसियों का उपयोग सत्ता बचाए रखने के लिए किया जा रहा है, नहीं तो हरक सिंह से ईडी नहीं कॉर्बेट घोटाले में सीबीआई पूछताछ कर रही होती।

 

 

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