नैनीताल। कल हाई कोर्ट नैनीताल में मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायाधीश राकेश थपलियाल की पीठ ने मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड सरकार को ऋषिकेश के आईडीपीएल क्षेत्र में हाई कोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने की संभावनाओं पर विचार करने के आदेश दिए जाने के बाद धामी सरकार के लिए तो असहज स्थिति हो गई, साथ ही साथ नैनीताल में वकीलों में भी रोष उत्पन्न हो गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने न्यायालय परिसर में अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी, जिससे भी माहौल में गर्मी आ गई।
मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने आईडीपीएल मामले की सुनवाई के वक्त यह स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट को गौलापार स्थानांतरित करने में पेड़ों के काटे जाने के दृष्टिगत हाई कोर्ट का स्वयं का यह मानना है कि पेड़ों का काटा जाना अनुचित होगा, लिहाजा गौलापार में हाई कोर्ट स्थानांतरित नहीं हो सकता। मगर जिस तरह हाई कोर्ट का विस्तार हो रहा है, उसे देखते हुए किसी ऐसे स्थान का चयन किया जाना जरूरी है जहाँ अगले पचास सालों तक हाई कोर्ट के विस्तार में कोई अड़चन न आए।
इस मामले में बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी से मुलाकात की और आईडीपीएल में बेंच स्थापित किए जाने पर आपत्ति जाहिर की और कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के मामलों की सुनवाई की जा सकती है, ऐसे में बेंच बनाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि स्थितियाँ हमेशा एक सी नहीं रहती, हम आने वाले पचास सालों में कोर्ट की जरूरतों के हिसाब से फैसला लेना चाहते हैं।
गौरमतलब है कि पीठ में सुनवाई के व्यक्त यह कहा था कि हाई कोर्ट में सत्तर फीसदी केस देहरादून के आसपास के इलाकों के हैं और नैनीताल आने में याचिकाकर्ता का छह सात घंटे का समय जय होता है। आईडीपीएल ऋषिकेश में हाई कोर्ट के विस्तार के लिए जगह भी है और याचिकाकर्ताओं को इससे सहूलियत भी हो जाएगी।
मामले की सुनवाई के वक्त न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने बताया कि सीमांत जोशीमठ के सुदूर गाँव से आने वाले को कई बार तीन दिन भी लग जाते हैं।
हरिद्वार जिला न्यायालय के वकील एडवोकेट नरेश बौंठियाल ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि माननीय हाई कोर्ट के इस फैसले से हजारों पीड़ितों को राहत मिलेगी। एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने न्यायालय को गैरसैंण में स्थापित करने की मांग की।
सूत्रों का कहना है कि हाई कोर्ट के इस आदेश से भाजपा सरकार सांसत में आ गई है, क्योंकि इसमें से कुछ भूमि एम्स को दी जानी थी, जिसे हाल ही में न दिए जाने के फैसले ने मामले में झोल होने की अफवाह को और पुष्ट किया था। सूत्रों के अनुसार इस भूमि को किसी बड़े उद्योगपति को देने की तैयारी थी, जबकि आईडीपीएल के पूर्व कर्मचारी आईडीपीएल को रिवाइव करने की मांग कर रहे थे, और कह रहे थे कि वर्तमान परिस्थितियों में आईडीपीएल रोजगार देने और व्यापार में अपना सिक्का जमा देने में सक्षम है। ऑक्सीजन प्लांट की कीमत देश को समझ आ चुकी है, और वो यहाँ मौजूद हैं।