भाजपा के बड़े बड़े दावों के बीच, बूँद बूँद पानी को तरसती पर्यटन नगरी लैंसडौन

लैंसडौन। गढ़वाल के सबसे महत्वपूर्ण छावनी शहर लैंसडौन में फरवरी माह में ही पेयजल आपूर्ति लड़खड़ा गई है। गर्मी का मौसम शुरू होने में अभी वक्त है, मगर अभी से लैंसडौन के कई इलाकों में पेयजल संकट गहरा गया है। छावनी परिषद की ओर से नगर में एक दिन छोड़कर पेयजल आपूर्ति की जा रही है। इसके बाद भी लोगों को आधा घंटा ही पानी की आपूर्ति की जा रही है, जिससे लोगों को खाना बनाने तक के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।

 

पानी की कमी से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। नगर वासियों ने पेयजल आपूर्ति सुचारू करने की मांग की है। लैंसडौन निवासी मोहित गुप्ता ने बताया कि वार्ड नंबर- 3 और वार्ड संख्या- 4 में पिछले 15 दिनों से पेयजल संकट बना हुआ है। यदि यही स्थिति रही तो गर्मियों में हालात और खराब हो सकते हैं। अंग्रेजों द्वारा बसायी गई खूबसूरत नगरी लैंसडौन का नाम बदलने समेत इसे पर्यटन नगरी बनाने का दावा करने वाली भाजपा सरकार सर्दियों तक में इसे पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं करवा पा रही है।

70 के दशक से  लैंसडौन में पेयजल संकट के निराकरण के लिए भैरव गाड़ी पंपिंग योजना की मांग उठती रही है।  उस समय के जनप्रतिनिधि हेमवती नंदन बहुगुणा लैंसडौन  की पानी की समस्या के निराकरण के लिए लगातार प्रयासरत्त रहे।

उत्तराखण्ड बनने के बाद भैरव गढ़ी पंपिंग योजना की शुरुआत हुई। मगर वित्तीय अभाव के वजह से इसकी लागत बढ़कर 23 करोड रुपए हो गई।

भैरव गढ़ी पंपिंग योजना के चालू हो जाने के बाद भी लैंसडौन में पेयजल संकट एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा, कि छावनी शहर को पर्यटन नगरी बनाने का दावा करने वाली भाजपा सरकार, एक शहर को सर्दियों में पानी उपलब्ध नहीं करा पा रही है, तो भाजपा की शासन करने की असक्षमताओं को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नेताओं ने अपनी स्थिति इस प्रकार कर ली है, कि अब चाह कर भी वो जनता की समस्या हल करवाने में असक्षम हैं। मूल निवासियों के काम के लिए भी उन्हें दिल्ली नागपुर से आज्ञा लेनी पड़ती है।

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