सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती ने जोशीमठ में आठ परिवारों को विस्थापित कर जिस जगह पर बसाया था , उस जगह पर हेलीपैड बनाने के भाजपा सरकार के निर्णय पर सवाल उठाये।
अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ का सिंहद्वार वार्ड मोस्ट डेंजर जोन में चिन्हित है । यह जनवरी 2023 में प्रभावित होने वाला सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र माना गया था ।
इस जगह पर गोल अंडाकार टीन शेड में यहां कभी केंद्रीय विद्यालय चलता था ..उससे पूर्व यह स्पेशल पुलिस फोर्स के तहत था ..अब सेना के अधीन है ।
जब आपदा से प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा था, तो यह बैरकें खाली थीं इसलिए यहां भी 8 परिवार शिफ्ट किए गए । जो अभी भी यहां रह रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि अब सुना कि सरकार की योजना यहां हेलीपेड बनाने की है । उसके लिए ये अंडाकार बैरेक उखाड़ कर जमीन समतल कर हेलीपैड बनाया जाएगा । भूमि का सर्वेक्षण हो चुका है ।
जोशीमठ में पहले से तीन हेलीपेड हैं। एक बड़ा मैदान आपात स्थिति में हेलीपेड की तरह इस्तेमाल होता रहा है । इस तरह यह चौथे की योजना है ।
उन्होंने सवाल किया कि जब आधी से ज्यादा जनता को यहां से हटाने की मंशा है, तब हेलीपेड की क्या जरूरत वह भी इतने सारे .?
दूसरे जोशीमठ के लोगों के बसाने के लिए यहां जगह नहीं है ..मगर हेलीपैड के लिए है ।
अतुल सती ने कहा कि कहने को तो लोगों का कहना है कि जोशीमठ का प्रमुख गांव डाडों को खाली करने के पीछे की मंशा भी एक हेलीपैड का विस्तार करने की योजना ही है । जो इस गांव से बिलकुल सटा हुआ सेना का हेलीपैड है । जिसमें कभी कभार बड़े हैली उतरने में गांव बाधा बनता है .. सो आपदा में अवसर..आपदा की कढ़ाई में ..एक घाण हेलीपैड की निकाल दो .! जबकि यह हेलीपैड गांव वालों की खड़ी फसल पर बुल्डोजर चला कर आनन फानन में सन 1962 में बनाया गया जोर जबर ..और एक कंटीले तार के पार यह हेलीपैड सुरक्षित क्षेत्र है। जबकि कंटीले तार की दूसरी तरफ गांव डेंजर ज़ोन में है । यही नया सरकारी भूगर्भ विज्ञान है, जिसमें एक मीटर की दूरी पर भूगर्भिक संरचना बिलकुल बदल जाती है ।