देहरादून। लोकसभा का चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले उत्तराखण्ड की पाँचों सीट भाजपा की झोली में जानी तय मानी जा रही थी, इस वजह से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने चुनाव लडने में कोई रुचि नहीं दिखाई। यकीनन पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा को उत्तराखण्ड से क्लीन स्वीप सफलता मिली है, और इस बार भी उसे क्लीन स्वीप की अभी तक उम्मीद है।
नतीजतन कांग्रेस में टिकट की घमासान किसे टिकट मिलेगा कि बजाय टिकट न मिले इस पर रहा। अब चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है। अल्मोड़ा सीट पर चुनाव के प्रति अपेक्षा से ज्यादा ठंडा माहौल है। भाजपा कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों के खाते में एक भी विशेष उपलब्धि नहीं है, जबकि दोनों प्रत्याशियों का राजनैतिक कैरियर को समय भी काफी हो गया है, और क्षेत्र का दोनों ही प्रत्याशियों ने प्रतिनिधित्व किया है। ऐसे में मोदी नाम की नाव की सवारी जीत के द्वार दिखा रही है।
नैनीताल सीट पर कांग्रेस ने अपने तमाम बाहुबली उम्मीदवारों जैसे महेंद्र पाल जो दो बार के सांसद हैं, के सी बाबा, पूर्व सांसद, तिलक राज बेहड़, भुवन चंद्र कापड़ी को नजर अंदाज करते हुए प्रदेश की राजनीति में अपेक्षाकृत कम जाने वाले प्रकाश जोशी को टिकट दिया। जिसे देखते हुए यहां से भाजपा की जीत पक्की मानी जा रही है।
गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी ने शुरुआत में कहा कि हम हार का मार्जिन कम करेंगे, मगर चुनाव प्रचार बढ़ते बढ़ते दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला कड़ा हो गया है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।
टिहरी लोकसभा में बॉबी पंवार के समर्थन में उतरे युवा और पूर्व सैनिकों ने पूरा माहौल गर्म कर दिया है। कांग्रेस के उम्मीदवार बेदाग छवि के जोत सिंह गुनसोला ने शुरू में तो चुनाव प्रचार में तेजी दिखाई , हेलीकॉप्टर की सवारी भी की, मगर मतदाताओं का रुख देखकर उनके प्रचार अभियान में अपेक्षाकृत नमी कहीं ना कहीं भाजपा के उम्मीदवार को पटकनी देने की रणनीति के तहत बॉबी पंवार को फायदा पहुंचाने की नीति दिखाई दे रही है, क्योंकि कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ौतरी से भाजपा को फायदा होता दिखाई दे रहा था। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति अगर काम कर गई तो भले ही प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस न जीते यह कांग्रेस को आगे के चुनावों में मजबूती से खड़े होने का सबल प्रदान करेगी।
हरिद्वार लोकसभा सीट परंपरागत भाजपा सीट मानी जा रही है। मगर निर्दलीय उमेश कुमार ने सीट को त्रिकोणीय हॉट सीट बना दिया है। जिस तरह भाजपा समर्थकों ने निर्दलीय उमेश कुमार के समर्थकों के खिलाफ भगवानपुर थाने में तहरीर दी है, वह कहीं ना कहीं भाजपा की हताशा को इंगित करती है। वैसे हरीश रावत अपने लड़के के लिए कितने वोट खींच सकते हैं यह भविष्य के गर्भ में है। यद्यपि उनके खाते में हार की लिस्ट लम्बी है, जिसमें हरिद्वार से उनकी श्रीमती की हरिद्वार लोकसभा चुनाव में हार भी शामिल है।