घनसाली। टिहरी लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में उम्मीद से अधिक समर्थन देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की निर्दलीय प्रत्याशियों पर सामान्यत: यह बढ़त होती है कि सुदूर पहाड़ों में निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थक मिलने तो दूर पहचानता तक कोई नहीं है। मगर बॉबी पंवार के मामले में यह बात उल्टी साबित हुई है, बॉबी पंवार को सुदूर बुडाकेदार, चमियाला, घनशाली आदि क्षेत्रों में अपार समर्थन मिल रहा है।
एक और सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशियों की अब इकलौती आस मोदी रह गए हैं, वहीं युवाओं ने बॉबी पंवार के लिए काम करना शुरू कर दिया है, जिस वजह से भाजपा की रैलियों में बॉबी पंवार जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं।
उधर कांग्रेस के प्रत्याशी गुनसोला भी जोर शोर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हुए हैं मगर कांग्रेस कैडर के अलावा उन्हें और कोई जनसमर्थन मिलता नजर नहीं आ रहा है।
प्रचार प्रसार के खर्च में सबसे कमजोर माने जाने वाले बॉबी पंवार ने दिखा दिया है कि जनता के हितों की लड़ाई यदि ढंग से लड़ी जाय तो जनता भी उसका समर्थन करती है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि अंकिता भंडारी और किरण नेगी प्रकरण में राष्ट्रीय दलों की मिलीभगत के कारण हमें इंसाफ नहीं मिल पा रहा है। मूल निवास 1950 से उत्तर प्रदेश के जमाने से किसी को दिक्कत नहीं थी तो उत्तराखण्ड बनने के बाद किसको और क्यों दिक्कत हो रही है यह समझने की बात है। दरअसल राष्ट्रीय दल उत्तराखण्ड के प्राकृतिक संसाधनों पर बाहरी लोगों के द्वारा डाका डलवाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने पहले तो मूल निवास 1950 को खत्म किया फिर उत्तर प्रदेश के जमाने से चले आ रहे भूमि खरीद पर प्रतिबंध को भी समाप्त कर दिया। पार्टी का मानना है कि त्रिवेंद्र रावत जैसे लोग जिन्होंने भूमि प्रतिबंध समाप्त किया और हिलटॉप जैसी शराब की फैक्ट्री देवप्रयाग जैसी पवित्र भूमि पर लगवाई प्रदेश पर बोझ हैं और ऐसे लोग यदि जनप्रतिनिधि बनते हैं तो यह प्रदेश का दुर्भाग्य होगा।