कोटद्वार: उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि कल मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में हुई उपसमिति की बैठक में विभिन्न श्रेणियों की सरकारी भूमियों पर हुए कब्जों को विनियमित करने के विषय में विचार किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि बाहरी प्रदेशों से उत्तराखण्ड में आकर सरकारी भूमियों पर अवैध रूप से काबिज लोगों के अतिक्रमण हटाने की बजाय वोट बैंक की खातिर भाजपा उनके अतिक्रमणों को वैध बनाने जा रही है, जो कि मूल निवासियों के हक हकूकों पर सीधा डाका है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य की विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है, और उत्तराखण्ड बनने के साथ बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड आए अवैध प्रवासियों को जिनमें रोहिंग्या भी संभवतः शामिल हैं, के द्वारा कब्जाई गई सरकारी जमीनों को मोदी सरकार उन अवैध प्रवासियों के नाम करना चाहती है, जो कि न केवल मूल निवासियों के हक हकूको पर डाका है, वरन मोदी सरकार के इस कार्य से आम जनता भी सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने की ओर मुखर होगी, जिससे अराजकता ही फैलेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य के भाजपा कांग्रेस विधायक मात्र कठपुतली की तरह दिल्ली के आदेशों पर काम कर रहे हैं, इसी लिए उत्तर प्रदेश के जमाने में मूल निवासियों को प्रदान सुरक्षा कवच मूल निवास को शनै: शनै: खत्म किया गया। उन्होंने कहा कि भू कानून को बदलने से मूल अधिकारों का हनन हो रहा है, मगर कांग्रेस इस पर मुंह खोलने को तैयार नहीं।
उन्होंने कहा कि भाजपा बताये कि माननीय हाई कोर्ट के आदेशों के बावजूद नदियों के किनारे बसे बाहरी लोगों को क्यों नहीं हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा का दोहरा चरित्र सामने आ रहा है, एक और अवैध मलिन बस्तियों को न उजाड़ने के लिए वो तुरंत अध्यादेश ले आती है, तो दूसरी ओर स्वरोजगार कर रहे गढ़वालियों के खोखों पर बुलडोजर चलाने में कोई हिचक नहीं दिखाती है। जनता को समझना चाहिए कि उनके मूल अधिकार ही नहीं रहेंगे तो भविष्य में उनका समाज और संस्कृति भी खत्म हो जाएगी और यही संघ के एक राष्ट्र का मूल मंत्र है।