जोशीमठ। पिछले साल जोशीमठ में आई आपदा प्रभावितों के मुआवजे और विस्थापन नीति में विसंगतियों को देखते हुए जोशीमठ संघर्ष समिति द्वारा जोशीमठ में आपदा प्रभावितों की मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसके क्रम में अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री द्वारा उक्त मांगों के क्रम में सहमति बता कर धरना स्थगित करवा दिया गया था, मगर प्रभावितों की मांगों के संबंध में कोई कार्यवाही ना होने के कारण जोशीमठ संघर्ष समिति द्वारा 11 मई 2023 को जोशीमठ में मशाल जलूस निकालने का फैसला किया गया। जिसको रोकने हेतु थानेदार जोशीमठ द्वारा संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती को धरना न करने का नोटिस भेजा गया।
नोटिस के क्रम में अतुल सती द्वारा उपजिलाधिकारी को बताया गया कि प्रशासन से वार्ता होने के बाद प्रशासन द्वारा प्रभावितों की मांगों को पूरा करने के आश्वासन देने के बाद धरना स्थगित किया गया था, मगर उक्त वार्ता के क्रम में प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है, तो उक्त आंदोलन ही आगे चलाया जा रहा है, ऐसे में पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं है। उजिलाधिकारी द्वारा उक्त मशाल जलूस की अनुमति प्रदान कर दी गई थी।
उस मशाल जलूस के ठीक एक साल बाद पुलिस ने जोशीमठ के कुछ मूल निवासियों पर भा द वि की धारा 147/148/149/347 व क्रिमिनल लॉ के तहत मुकदमें दर्ज किए हैं।
जोशीमठ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि बजाय आपदा राहत कार्य करवाने के और यात्रा काल में यात्रियों के बेहतर प्रबंधन पर ध्यान देने के, भाजपा सरकार जोशीमठ प्रभावितों पर मुकदमें दर्ज कर उनकी पीड़ा में नमक लगा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आपदा पीड़ितों को राहत प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए, मगर जो व्यवहार वो जोशीमठ आपदा पीड़ितों से कर रही है, उससे लगता नहीं कि राज्य की लोकतांत्रिक सरकार में भाजपा की कोई निष्ठा है।