कामरेड अमर शदीद नागेंद्र सकलानी की शहादत दिवस 10 जनवरी से श्रमिकों की मांगों को लेकर सीटू द्वारा चलाया गया हस्ताक्षर अभियान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस पर पूरा हो गया। श्रमिकों के खिलाफ लाए गए काले श्रम कानूनों को रद्द करने व पुरानी पेंशन भली समेत सात सूत्री मांग पत्र पर दस हजार लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। मांग पत्र जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा गया। अभियान का नेतृत्व सीटू के जिलाध्यक्ष कृष्णा गुनियाल, जिला महामंत्री लेखराज,उपाध्यक्ष भगवंत पायल, रवि नौडियाल आदि ने किया ।
मांगें
1. श्रम कानूनों के स्थान पर लायी गयी चारो श्रम सहिंताओ को रद्द करो। 12 घंटे काम करने के आदेश को रद्द करो। श्रम कानूनों को ओर अधिक प्रभावशाली बनाया जाये। बढती महंगाई के कारण न्यूनतम वेतन 26 हजार रूपये किया जाए। ताकि मजदूरो के परिवार की गुजर बसर हो सके।
2. नई पेंशन स्कीम रद्द कर पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए। ताकि सेवानिवृत व्यक्ति सम्मान से जीवन व्यतीत कर सके।
3. केंद्र सरकार की ओर से संसद में पारित ड्राइवर, हेल्पर विरोधी नये मोटर व्हीकल एक्ट को तत्काल वापस लिया जाए।
3. सरकारी कार्यालयों व निजी ओधोगिक संस्थानों में ठेका, आउटसोर्स व संविदा पर लगे श्रमिको, कर्मचारियों के शोषण पर रोक लगाते हुए नियमित किया जाए।
4. आशा, आंगनवाडी, भोजनमाताओ को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। न्यूनतम वेतन व समाजिक सुरक्षा दी जाए। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाए।
5. बढती महंगाई पर रोक लगाई जाए। केंद्र व राज्य सरकार के संस्थानों में रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए।
6. रेलवे के निजीकरण से गरीबो का सफर महंगा हो गया है। रेलवे के साथ ही बिजली के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। बिजली के स्मार्ट मीटरो
को लगाने के नाम पर मूल्य वृद्धि पर रोक लगए।
7. ई- रिक्शा वर्कर्स व रेहड़ी पटरी व्यवसायियों का उत्पीडन बंद किया जाए। इन्हें मुख्य मार्गो से हटाना बंद करो।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने इन मांगों का समर्थन किया। पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने बोला कि सरकार का परम कर्तव्य है कि निचले पायदान पर खड़े श्रमिक जिससे कि देश की जीडीपी में इजाफा हो रहा है, तक उसके अधिकार पहुंचे । उन्होंने कहा कि यह मांगे उनका अधिकार हैं, और उनका अधिकार उन्हें बिना मांगे मिलना चाहिए था। मगर भाजपा सरकार है कि श्रमिक की ओर ध्यान नहीं दे रही है और उनके शोषण के लिए किसान कानून जैसे काले कानून बना रही है जहाँ श्रमिकों के अधिकारों को खत्म किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों के लिए लिए जाने वाला सेस राज्य की भाजपा सरकार निर्माण कार्यों से वसूल नहीं कर पा रही है। इसलिए श्रमिकों के हितों के लिए आने वाले धन की कमी के कारण भी कई परियोजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं , मगर भाजपा सरकार इस ओर जानबूझ कर ध्यान नहीं दे रही