बंगाल में राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार की लड़ाई का असर हाई कोर्ट में नजर आने लगा है, जहां मेडिकल कोर्स में एडमिशन दिलाने के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र की जॉच के लिए सीबीआई को मामला सौंपने के हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश पर हाई कोर्ट की ही डबल बेंच ने रोक लगा दी।
चौबीस जनवरी जनवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य में लोगों को मेडिकल कोर्स में ऐडमिशन दिलाने के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।
यह मामला जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के सामने आया था। उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार और बंगाल पुलिस को कटघरे में खड़ा करते हुए सीबीआई जांच का आदेश सुना दिया। जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि टीएमसी लीडर शेख शाहजहां को गिरफ्तार करने में नाकाम रही बंगाल पुलिस में उनका विश्वास ज्यादा नहीं है।
कुछ ही दिनों पहले ईडी की टीम जब शाहजहां के घर पर राशन घोटाले मामले में छापेमारी के लिए पहुंची थी तब टीम पर ही हमला कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के मुताबिक उन्होंने एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता को यह आदेश दिया था कि वह जांच के पेपर सीबीआई को सौंप दें।
एडवोकेट जनरल इस मामले को लेकर जस्टिस सौमेन सेन और उदय कुमार की खंडपीठ के सामने ले गए ।
एडवोकेट जनरल दत्ता ने खंड पीठ को बताया कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने राज्य को जांच करने का आदेश नहीं दिया है। इसके बाद डिविजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी।
डिविजन बेंच के आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सीबीआई जांच की मांग नहीं की थी। डिविजन बेंच ने कहा कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने ईडी की टीम पर हमले को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दे दिया। हालांकि ये दोनों मामले अलग-अलग हैं।
मगर इस आदेश के बाद न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय भड़क गए और उन्होंने न्यायमूर्ति सेन पर एक दल विशेष के पक्ष में होने के आरोप लगा दिए।