नई दिल्ली। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कॉर्बेट नेशनल पार्क के संबंध में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने लोकतंत्र की रक्षा की है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि मोदी सरकार उत्तराखण्ड के पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन कर रही है, जिससे उत्तराखण्ड का परिस्थितकीय संतुलन गड़बड़ाने लगा है, जिसकी सबसे ज्यादा मार गढ़वाली कुमाऊनी समाज को झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं के नाम पर अंधाधुंध विस्फोट और पेड़ों के कटान ने पहाड़ों की स्थिरता को खत्म कर दिया है। पिथौरागढ़, चमोली, टिहरी और रुद्रप्रयाग के कई गाँवों में मकानों में इतनी बड़ी बड़ी दरारें आ गई हैं कि मकान रहने लायक नहीं रह गए हैं। प्रशासन परियोजनाओं को अनैतिक लाभ देने के लिए कई बार यह मानने से इंकार कर रहा है कि यह परियोजना निर्माण की खामियों की वजह से हो रहा है।
उन्होंने कहा कि बार बार ईमानदारी का दावा करने वाली मोदी सरकार में भाजपा के मंत्री के द्वारा किया गया इतना बड़ा भ्रष्टाचार कभी भी उजागर न हो पाता और मोदी मार्केटिंग के तहत यह भी विकास की एक नई नींव कहलाया, मगर देश के जागरूक नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट के सहयोग से इतने बड़े भ्रष्टाचार की पोल पट्टी खोल दी है।
उन्होंने कहा कि अदालत ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के भीतर अवैध निर्माण गतिविधियों और अनाधिकृत पेड़ की कटाई में शामिल होने के लिए उत्तराखण्ड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद को फटकार लगाई है। वर्तमान मामले में यह बिना किसी संदेह के स्पष्ट है कि तत्कालीन वन मंत्री खुद को कानून से ऊपर समझ बैठे थे और यह दर्शाता है कि कैसे डीएफओ ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को हवा में उड़ा दिया था। इससे पता चलता है कि राजनेता और नौकरशाह कैसे कानून को अपने हाथ में लेते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के कारण हुए नुकसान के संबंध में पहले से ही मामले की जांच कर रही सीबीआई को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है, साथ ही उसने राज्य सरकार को जंगल की बहाली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रावत पर तल्ख टिप्पणी की और जिम कार्बेट ने पार्क के मुख्य क्षेत्रों में टाइगर सफारी पर प्रतिबंध लगा दिया है।