देहरादून। उत्तराखण्ड लोकायुक्त अभियान के कार्यकर्ता परमानंद बलोदी और सुमन बडोनी ने आज आयुर्वेद विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
लोकायुक्त अभियान के कार्यकर्ताओं ने दस्तावेजों के साथ खुलासा करते हुए कहा कि ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी में पहले फार्मेसी स्तर पर टेंडर होता था जिसमें लोकल और छोटी फर्में भी भाग लेती थी, इससे सरकार को कम दाम में अच्छी गुणवत्ता की कच्ची औषधि मिलती थी, लेकिन विभाग द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए टेंडर में ऐसी शर्ते जोड़ दी गई है, जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई है और उत्तराखण्ड की सभी फर्मे टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गई है।
परमानंद बलोदी ने कहा कि यह सीधे-सीधे उत्तराखण्ड से बाहर की बड़ी फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। अधिकारियों के निहित स्वार्थ के कारण सरकार को कई गुना ज्यादा दाम पर औषधीय में प्रयोग होने वाला कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है और एमआरपी से भी काफी अधिक में खरीद हो रही है।
सुमन बडोनी ने कहा कि यह उत्तराखण्डवासियों के लिए दुखद बात है कि एक ओर सरकार भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की मनमानियां कर सरकारी धन का सीधा सीधा गबन करती है। उन्होंने कहा कि मोदीजी के नाम पर उत्तराखण्डी जब तक छला जायेगा इसे सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में लोकायुक्त सही मायने में लागू हो गया तो कई सफेदपोश नेताओं का बाकी का जीवन जेल की सलाखों के पीछे ही बीतेगा, मोदी जी की वाशिंग मशीन भी उन्हें बचा नहीं पाएगी।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि इस संबंध में कई बार आयुर्वेदिक निदेशक को भी ईमेल और रजिस्टर्ड डाक से भी शिकायतें दर्ज कराई गई है, लेकिन उनके द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। सेमवाल ने कहा कि आयुर्वेदिक विभाग नियमों का पालन करने के बजाय जिस फार्म को टेंडर देना होता है, उसके अनुसार टर्नओवर की शर्तें मनमाने ढंग से बना रहा है।