नई दिल्ली। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा मोदी सरकार को नीट यूजी परीक्षा मामले में हुए घपले की सुनवाई में स्पष्ट संकेत दे दिए गए थे। नीट यूजी परीक्षा में इस बार रैंकिंग बहुत उच्च जाने और 67 छात्रों के 720 में से 720 आने तक तो फिर भी बहुत कुछ सफाई थी, मगर 718 और 719 नंबरों पर एनटीए कोई सफाई नहीं दे सका। इसके साथ ही 14 जून को अपेक्षित परिणाम 04 जून को ही घोषित कर दिए गए, जिस वक्त पूरा देश लोकसभा चुनावों के परिणामों को जानने में व्यस्त था, ऐसे में यही माना गया कि मोदी सरकार ने इस घपले को मीडिया से दब जाने की आस में 14 जून की जगह 04 जून को ही घोषित कर दिया।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने घोटाला छिपाने के लिए यह तक बयान दे दिया कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ है, जबकि पटना के शास्त्री नगर थाने में 05 मई को ही पेपर लीक के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई और कुल 13 लोगों को हिरासत में लिया गया।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि सत्तर सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि मोदी सरकार द्वारा खुले आम झूठ बोला जा रहा है, और छात्रों को न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अलावा कोई भी सरकार होती तो अब तक इस्तीफा आ गया होता।
उविपा के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि शीर्ष न्यायालय से इतना कुछ सुन चुकने के बाद भी मोदी सरकार छात्रों के हितों में फैसला लेने को तैयार नहीं है, जबकि टीडीपी समेत अन्य सहयोगी दलों द्वारा इस मामले में कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से शिक्षा विरोधी सरकार है, जो भारत को आधुनिक विश्व के मुक़ाबिल खड़ा करने के बजाय पाषाण युग में ले जाने को बरकरार है।