चिन्यालीसौड़। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार का दीमक अपना प्रभाव दिखाने लगा है। भाजपा शासनकाल में बनकर तैयार हुआ पुल खतरे की जद में आ गया है, अधिकारी इस पुल को खतरे की जद में आने की वजह भारी वाहनों का इस पुल से आवागमन बता रहे हैं, जो भाजपा सरकार की नीति और नीयत पर संदेह पैदा करता है।
एक ओर जहाँ अंग्रेजों के जमाने के पुल शान से खड़े हैं, दूसरी ओर दस बीस साल पहले बने पुल लगातार खतरे के हालातों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में अगर अधिकारी पुल की वहन क्षमता को कम बता रहे हैं, तो यह चिंताजनक है क्योंकि आधुनिक युग में भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ाने के लिए मोदी सरकार द्वारा इतना खर्च किया जा रहा है, तब पुल बनाते समय भारी वाहनों की आवाजाही का ख्याल क्यों नहीं रखा गया, यह एक बड़ा सवाल है?
देवीसौड आर्च ब्रिज जिसे काफी तामझाम के बाद जनता को वर्ष 2018 में भाजपा शासनकाल में समर्पित किया गया था, जर्जर की श्रेणी में आ गया है। यह पुल एक तरफ झुक गया था जिस वजह से भारी वाहनों के आवागमन से पुल टूटने का खतरा बढ़ गया था।
लोक निर्माण विभाग ने फिलहाल इस पुल से भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। इस पुल की भार वहन क्षमता 24 टन बताई जा रही है। और कहा जा रहा है कि 24 टन से ज्यादा के भार के वाहन इस पुल से आवागमन कर रहे थे। ऐसे में पुलिस प्रशासन पर प्रश्न उठता है कि बिना अनुमति 24 टन से अधिक के वाहनों की आवाजाही इस पुल से कैसे हो रही थी?
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि कोटद्वार समेत कई स्थानों पर पुल गिर जाते हैं या ऐसी स्थिति में आ जाते हैं, यद्यपि अधिकारी इसका कारण कुछ अन्य बताते हैं, मगर नये पुलों का जर्जर होना भ्रष्टाचार की निशानी है, इससे केवल जनता को होती परेशानी है।