लैंसडौन क्षेत्र में आवासीय उपयोग के लिए क्रय की गई भूमि का हो रहा है व्यवसायिक उपयोग, जमीन क्रय करने वालों को दिए गए नोटिस

लैंसडाउन/पौड़ी। ज़िला मजिस्ट्रेट गढ़वाल, डॉ0 आशीष चौहान की कोर्ट ने आवासीय उपयोग के लिए खरीदी गई भूमि का व्यवसायिक उपयोग किए जाने पर संबंधित भू-विक्रेताओं को जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 166/167 के तहत नोटिस जारी किए गए हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने संबंधित क्रेताओं को 8 अक्टूबर 2024 को अपना पक्ष रखने के आदेश दिए हैं।

उप जिलाधिकारी लैंसडाउन शालिनी मौर्या ने बताया कि महेश कुमार, हेमा शर्मा, हेतराज शर्मा, अशोक कुमार, किरण कुमार, पिंकी शर्मा, नीरज चोपड़ा, सबीह सिद्दीकी, विजय कुमार, सुभाष चंद्र, सिद्धार्थ शर्मा ने ग्राम बाडियूं पट्टी कौडिया के लोगों से उ0प्र0ज0वि0 एवं भू0व्य0अधि0 की धारा 154(4)(1)(क) के तहत भूमि आवासीय प्रयोजन के लिए खरीदी गई थी। बाडियूं पट्टी कौडिया तहसील लैंसडाउन की खतौनी संख्या 2 में उक्त भूमि क्रय होने एवं दाखिल खारिज होने के बाद श्रेणी 1 “ग” में दर्ज है। लेकिन वर्तमान में क्रेता द्वारा आवासीय उपयोग के लिए क्रय की गई भूमि को मैसर्स चार्ली फॉर मैन मार्किट लैंसडाउन को 30 वर्षों के लिए लीज पर दिया गया है। जिस पर वर्तमान में आईवीवाई ग्रीन होटल निर्मित है। जिससे साफ़ है कि उक्त भूमि का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है।

वहीं उपजिलाधिकारी लैंसडाउन शालिनी मौर्या ने 11 मार्च 2024 को भेजे गए पत्र में अवगत कराया कि आलोक कुमार, साहज कुमार, मोनिका शास्त्री, नवीन सिंह, हरकेश सिंह, विक्रम मिश्रा, गुरिंदर सिंह, अमन नागियाल, अनिल जगतियानी, अनुराग विषैन और कुलदीप राम मल्ला औडल पट्टी कौडिया में आवासीय उपयोग के लिए क्रय की गई थी, लेकिन इस पर बिना अनुमति के होटल ब्लयूसाज बनाया गया है। जिससे साफ है कि संबंधित भूमि का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि इस कारण भूमि पर उ0प्र0ज0वि0अधि0 की धारा 166/167 की कार्यवाही करनी उचित प्रतीत होती है।

जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय ने नोटिस जारी करते हुए बताया कि संबंधित क्रेता 8 अक्टूबर 2024 तक स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में उपस्थित होकर लिखित में कारण स्पष्ट करें, कि क्यों ना उ0प्र0ज0वि0 एवं भू0व्य0अधि0 1950 की धारा 154 का उल्लघंन करने कारण क्रय की गई भूमि उत्तराखंड सरकार में निहित कर दी जाए। यदि क्रेता समय पर नहीं आता है, तो मान लिया जाएगा कि क्रेता को इस पर कुछ भी नहीं कहना है। उसके बाद एक पक्षीय आदेश पारित कर दिया जाएगा।

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