देहरादून। पूरे उत्तराखण्ड में ईडी द्वारा मारे गए छापे की लगातार चर्चा है। परसों रात ईडी की टीम ने दिल्ली, चंडीगढ़, देहरादून, हरिद्वार और श्रीनगर एक साथ 17 जगहों पर छापे मारे थे। छापों में चंडीगढ़, दिल्ली, श्रीनगर, देहरादून तक के शहरों समेत हरक सिंह के गाँव का घर तक शामिल था।
आश्चर्य की बात यह है कि जिस प्रकरण को लेकर ईडी के छापे बताये जा रहे हैं, वह कॉर्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज के निर्माण में घोटाले और अवैध पेड़ कटान से जुड़े हुए मामले हैं। इस मामले में माननीय हाईकोर्ट नैनीताल ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। मगर जांच में सीबीआई से पहले ईडी का छापा और पूर्व मंत्री हरक सिंह के द्वारा की गई बयानबाजी बताती है, कि यह छापा प्रशासनिक कम रानैनीतिक ज्यादा है।
ईडी के अनुसार सभी जगह छापों पर एक करोड़ दस लाख रुपए सीज किए गए हैं। साथ ही साथ एक स्थान से 01 किलो 300 ग्राम सोना और 10 लाख रुपए की विदेशी मुद्रा बरामद की गई है। ईडी के द्वारा यह नहीं बताया गया कि किसके घर से कितना पैसा और सोना प्राप्त हुआ है। बताया जा रहा है कि हरक सिंह के यहाँ कुछ फाइलों और साढ़े तीन लाख रुपयों के अलावा और कुछ नहीं मिला।
हरक सिंह ने बताया कि ईडी उनके घर से मेडिकल कॉलेज और उनकी बहू के एनजीओ के दस्तावेज ले गई है। ईडी को उनके घर से साढ़े तीन लाख रुपए मिले, जिसे यह कहते हुए ईडी ने लौटा दिया, कि इतनी धनराशि रखी जा सकती है। उन्होंने बताया कि ईडी को उनके घर से कोई ज्वैलरी नहीं मिली।
अब तक ईडी के छापे में यह पहला मामला है जहां ईडी ने छापे में प्राप्त साढे तीन लाख रुपए लौटा दिया हों।
हरक सिंह, भाजपा नेता अमित सिंह, चंडीगढ़ के दो डॉक्टर और वन विभाग के अधिकारियों सुशांत पटनायक और किशनचंद के घर भी ईडी ने छापे मारे।
ऐसे में कुल एक करोड़ दस लाख रुपए प्राप्त किए जाने और हरक सिंह के घर से प्राप्त साढे तीन रुपए रुपए लौटाये जाने, ईडी की कार्यवाही को प्रशासनिक कम राजनैतिक ज्यादा बना रहा है।