नैथाना। लम्बी प्रतीक्षा के बाद गढ़ चाणक्य वीर भड़ श्री पूरणमल नैथानी उर्फ पुरिया नैथानी के भव्य स्मारक को जनता के दर्शनार्थ 31 मार्च 2024 को खोल दिया गया।
वीर भड़ पुरिया नैथानी संभवत: गढ़वाल राज्य को सबसे लम्बे समय तक अपनी सेवायें प्रदान करने वाले व्यक्ति रहे होंगे। सन 1667 ईo के अक्टूबर मास में विजय दशमी के पवित्र दिन औरंगजेब के एलची के सामने घुड़सवार सेना का प्रदर्शन करते हुए जब उनके घोड़े श्याम कल्याण ने किले की दीवार के ऊपर छलांग लगाई तो महाराज समेत सभी लोगों की सांसें अटक गई थीं, मगर श्री वीर पुरिया जी ने अपने साहस के बल पर असंभव से दिखने वाले कार्य को संभव कर दिखला दिया तो दिल्ली से आए एलची ने महाराज मेदनी शाह से कहा,” महाराज, श्री पुरिया गढ़वाल ही नहीं, हमारे चक्रवर्ती मुगल सम्राट के लिए भी अभिमान की वस्तु हैं! धन्य है गढ़देश जिसने ऐसा वीर पैदा किया!”
सन 1668 में औरंगजेब के दरबार में संभवत: औरंगजेब की बहिन रौशनआरा के विवाह के अवसर पर महाराज को बुलावा आया, लेकिन ठीक उसी वक्त गढ़वाल की पूर्वी सीमा पर कुमाउँ की सेना ने आक्रमण कर दिया था। सभी दरबारियों ने महाराज मेदनी शाह को सलाह दी कि सभा चतुर, सुयोग्य व राजनीति-पटु श्री पुरिया नैथानी को ही दिल्ली भेजा जाय। टिहरी राज संग्रह में मार्ग शीर्ष सम्वत 1725 विo का एक कागज सुरक्षित है। उससे मालूम होता है कि किसी सैय्यद मुसलमान ने गढ़वाल राज्य के कोटद्वार भाबर की जमीनों पर कब्जा कर लिया था। श्री पुरिया ने इस विवाह के अवसर पर बादशाह दरबार में दलीलें देकर वो जमीनें छुड़वा ली और इस पर गढ़वाल राज्य का अधिकार माना गया। इस कार्य से प्रसन्न होकर महाराज ने इन्हें दो हजार बीघे जमीन बख्शीश में दे दी और आज्ञा दी कि इनके व इनके वंशजों के मार्ग में किसी प्रकार की बाधा न डाली जाय।
श्री पुरिया नैथानी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह रहा कि वे धर्मांध औरंगजेब को यह समझाने में कामयाब हो गए कि तलवार की नोक या अन्य किसी दबाव से हिंदुओं को मुसलमान नहीं बनाया जा सकता है। देश की तरक्की के लिए हिंदू और मुसलमानों में आपसी सौहार्द और भाई चारे का बना रहना सबसे महत्वपूर्ण है। और औरंगजेब ने भरे दरबार में उनकी घंटों लम्बी दलीलें सुनने के बाद 1680 में गढ़वाल और हिंदू मंदिरों से जजिया हटा दिया। इसपर पूरी कहानी फिर कभी।
हिमतुंग वाणी/जगमोहन डांगी के अनुसार जनपद गढ़वाल की पौड़ी तहसील की मनियारस्यूँ पट्टी में स्थित गढ़वाल के इतिहास पुरुष पुरिया नैथानी की नवनिर्मित मूर्ति को आम जन के दर्शनार्थ खोल दिया गया है। इससे पूर्व विधायक पौड़ी राजकुमार पोरी द्वारा आदर्श चुनाव आचार संहिता लगने से पूर्व इसका विधिवत लोकार्पण कर दिया गया था। इधर आज पुरिया नैथानी सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम के दौरान हाथ मे तलवार लिए घोड़े में सवार पुरिया नैथानी की आदमकद प्रतिमा को आम जन के दर्शनार्थ समर्पित किया गया।
नैथाना गांव में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रवासी, मनियारस्यूँ पट्टी के दर्जनों गांवों के ग्रामीण व अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शिरकत की। इस दौरान महिला मंगल दल व अनेक स्कूलों के छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं। आगंतुक लोगों द्वारा पुरिया स्मारक परिसर में बनी फ़ोटो गैलरी में भी श्री पुरिया नैथानी से जुड़े चित्रों का अवलोकन भी किया गया। चित्रों के जरिये पुरिया नैथानी की चतुरता, वीरता, शौर्य व पराक्रम का प्रदर्शन किया गया है।
मूर्ति व स्मारक निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ट्रस्ट के निर्मल नैथानी ने बताया कि स्मारक के निर्माण में लंदन में रहने वाले गांव के डॉ सतीश नैथानी द्वारा प्रदत्त संसाधनों से ट्रस्ट को प्रेरणा व संबल मिला। इसी को देखते हुए आज डॉ सतीश नैथानी के जन्मोत्सव पर इस मूर्ति को आम जन के लिए समर्पित किया गया। उन्होंने बताया कि मूर्ति स्थापना पहले चरण का कार्य था। पुरिया नैथानी स्मारक को आने वाले समय मे विस्तार देते हुए अनेक कार्य प्रस्तवित हैं जिनमे कुछ का निर्माण कार्य गतिमान है। आने वाले समय में इस स्थान पर एक भव्य व विहंगम स्मारक मूर्त रूप ले लेगा। जो ऐतिहासिक पर्यटन व लोक इतिहास के प्रति जिज्ञासा रखने वाले लोगों के लिए एक नया डेस्टिनेशन होगा।
कार्यक्रम में डॉ. सतीश नैथानी, पूर्व प्रधान राजेश नैथानी, प्रधान महाकान्त नैथानी, गिरीश नैथानी, कर्नल आनंद थपलियाल,पूर्व प्रधानाचार्य मनोहर सिंह रावत, जगमोहन डांगी के साथ ही बड़ी संख्या में पंचायत प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व क्षेत्रीय महिला मंगल दल की महिलाएं मौजूद थीं। कार्यक्रम का संचालन हेमंत नैथानी ने किया। इससे पूर्व राइका कांसखेत के छात्र छात्राओं द्वारा शिव स्रोत पर आधारित नृत्य नाटिका ने समां बांध दिया।