रांची। झारखण्ड पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखण्ड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। हेमंत सोरेन बेल बॉन्ड भरने के बाद जेल से बाहर आ जाएंगे।
उच्च न्यायालय ने हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए मोदी सरकार की ईडी को बड़ा झटका दे दिया है। उच्च न्यायालय ने केस को लेकर तीन बड़ी बातें कही हैं। जिससे हेमंत सोरेन का पक्ष काफी मजबूत होता दिख रहा है।
झारखण्ड उच्च न्यायालय ने जमानत पर सुनवाई के दौरान कहा कि पूरे केस से पता चलता है कि प्रार्थी विशेष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से 8.86 एकड़ भूमि के अधिग्रहण और कब्जे के साथ-साथ “अपराध की आय” से जुड़े होने में शामिल नहीं है। किसी भी रजिस्टर/राजस्व रिकॉर्ड में उक्त भूमि के अधिग्रहण और कब्जे में याचिकाकर्ता की प्रत्यक्ष भागीदारी का कोई संकेत नहीं है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता ने 2010 में उक्त भूमि का अधिग्रहण किया था और उस पर उसका कब्जा था, तो उस समय वह सत्ता में नहीं था, तो भूमि से विस्थापितों द्वारा अपनी शिकायत के निवारण के लिए अधिकारियों से संपर्क न करने का कोई कारण नहीं था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय का यह दावा कि उसकी समय पर की गई कार्रवाई ने अभिलेखों में जालसाजी और हेराफेरी करके भूमि के अवैध अधिग्रहण को रोका है, इस आरोप की पृष्ठभूमि में विचार करने पर एक अस्पष्ट कथन प्रतीत होता है कि भूमि पहले से ही अधिग्रहित थी और याचिकाकर्ता द्वारा उस पर कब्जा कर लिया गया था।
अंत में झारखण्ड उच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा- “प्रार्थी को जमानत देने से कोई हानि नहीं होने वाली है”।
झारखण्ड उच्च न्यायालय के इस आदेश से मोदी सरकार की ईडी को एक बड़ा झटका लगा है। हेमंत सोरेन की जमानत देते समय उच्च न्यायालय ने जिन तथ्यों का उल्लेख किया है, आगे भी वे तथ्य इस मामले में हेमंत सोरेन के लिए सहायक सिद्ध होने वाले हैं। कुल मिला कर इस जमानत के आदेश ने मोदी सरकार पर विपक्षियों को जानबूझ कर फंसाने के विपक्ष के आरोपों की पुष्टि कर दी है।
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