नई दिल्ली। नीट एग्जाम में पटना में एग्जाम से पहले वाली रात कई छात्रों को एक कमरे में पेपर सॉल्व करवाए गए। और गुजरात के गोधरा शहर में कई हजार किलोमीटर दूर से छात्र एक निश्चित सेंटर में एग्जाम देने आए थे, क्योंकि वहां पूरा सिस्टम सेट था।
नीट परीक्षा एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी) आयोजित कराती है। देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस यानी डॉक्टरी की व दांतों की डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए करीब 01 लाख सीटें हैं। इनमें से करीब 40 हजार सीटें सरकारी कॉलेजों में हैं। 60 हजार के करीब सीटें प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में हैं। खेल इन्हीं 40 हजार सीटों के लिए है, क्योंकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 05 साल के कोर्स के लिए एक से सवा करोड़ रुपये तक लगते हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई के लिए 05 साल में औसतन सिर्फ 05 लाख रुपये ही लगते हैं।
इस बार 5 मई को पूरे देश में नीट की परीक्षा आयोजित हुई थी। कुल 23 लाख 33 हजार 297 छात्रों ने परीक्षा दी थी। एग्जाम का रिजल्ट पहले 14 जून को आना था, मगर 10 दिन पहले यानि 04 जून को घोषित कर दिया गया, वह तारीख जिस दिन लोकसभा चुनावों का भी रिजल्ट आया। रिजल्ट आया तो कई तरह की खामियां नजर आईं। धीरे-धीरे आवाज उठी तो यह पूरा एग्जाम ही एक बड़ा घोटाला नजर आने लगा।
उठ रहे हैं नीट एग्जाम पर सवाल
- पहले एक, दो या तीन बच्चों को 720 में से 720 नंबर मिलते थे, लेकिन इस बार के एग्जाम में 67 छात्रों को पूरे नंबर मिले हैं।
- इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि नीट परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिले हों। इस बार 1563 छात्रों को ग्रेस नंबर मिले हैं।इस पर सवाल उठे तो ग्रेस मार्क्स हटा दिए गए।
- तीसरा आरोप सेंटर हाईजैकिंग का है।जब से यह परीक्षा आयोजित हुई तब से यह सवाल उठ रहे हैं कि कुछ बच्चों के पेरेंट्स ने लाखों रुपये देकर पूरा का पूरा सेंटर खरीद लिया।
- चौथा आरोप पर्चा लीक का है. 5 मई को पटना पुलिस ने एक ऐसा गैंग पकड़ा, जिसने स्वीकारा है कि कई छात्रों को एक रात पहले ही एग्जाम पेपर सॉल्व करवाया था।
अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भले ही किसी भी तरह की धांधली, अनियमितता या पेपर लीक से इनकार कर रहे हैं, लेकिन कई सेंटर से अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं। पटना के शास्त्री नगर पुलिस थाने में पेपर लीक को लेकर एक एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। इसमें स्टूडेंट्स, सॉल्वर गैंग और उनके अभिभावकों समेत कुल 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
क्या पटना में पेपर हुआ लीक?
05 मई को नीट का एग्जाम था पटना में भी शास्त्री नगर इलाके में डीएवी स्कूल में नीट का सेंटर था। पुलिस ने एग्जाम के बाद इस सेंटर पर परीक्षा देने वाले आयुष नाम के एक छात्र को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसे परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र उपलब्ध हो गया था। पटना के एक हॉस्टल में आयुष और उसके जैसे 25 और छात्रों को एग्जाम पेपर और आंसर उपलब्ध करवाए गए थे।
एग्जाम से पहले वाली रात को इन तमाम छात्रों को यह आंसर रटवाए गए थे। अगले दिन नीट के एग्जाम में 100 फीसदी वही सवाल आए, जिन्हें रटवाया गया था। इसके लिए एक-एक छात्र से 20-20 लाख रुपये लिए गए थे। पटना पुलिस ने अब तक इस केस में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें छह छात्र हैं, चार सेटर्स और तीन अभिभावक हैं।
पटना पुलिस ने इन सेटर्स और छात्रों की निशानदेही पर उस हॉस्टल पर रेड की तो वहां कुछ जले हुए कागज मिले। पुलिस को शक है कि यह कागज नीट का वही लीक प्रश्न पत्र हो सकता है।इसके लिए पटना पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने नीट का ओरिजिनल प्रश्न पत्र मांगा ताकि उसकी फॉरेंसिक जांच करवाई जा सके। मगर, एनटीए की तरफ से अभी तक प्रश्न पत्र उपलब्ध नहीं करवाया गया है।
गोधरा से भी सामने आया मामला
गुजरात के गोधरा में तो और गजब हुआ है। गोधरा के जलाराम स्कूल में नीट का एग्जामिनेशन सेंटर था। इस सेंटर में 30 छात्रों को गलत तरीके से एग्जाम दिलवाया जा रहा था। यहां गुजरात के लोकल स्टूडेंट्स तो थे ही, लेकिन यहां पर महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से भी स्टूडेंट्स आए थे। अब कोई छात्र अपने प्रदेश को छोड़कर गुजरात के गोधरा के इस सेंटर में जाकर परीक्षा क्यों देगा? क्योंकि इस सेंटर पर बच्चों को पास कराने की पूरी सेटिंग हो चुकी थी। इन सारे बच्चों के माता-पिता से लाखों रुपये लिए गए थे।
यहां इन छात्रों से कहा गया था कि उन्हें जितने सवाल आते हों, अपनी आंसर शीट में मार्क कर दें, बाकी सेंटर पर मौजूद लोग देख लेंगे, क्योंकि एक बार परीक्षा का वक्त खत्म होने से लेकर सारी कॉपियां पैक होकर भेजने तक में ढाई से तीन घंटे का वक्त लगता है। परीक्षा खत्म होने के सिर्फ आधे घंटे के भीतर कई सारे बड़े कोचिंग सेंटर सारे सवालों की आंसर- की यानी सही जवाब ऑनलाइन जारी कर देते हैं। इस सेंटर के कर्मचारियों को उन्हीं आंसर- की मदद से सारे छात्रों की ओएमआर शीट पर सही आंसर को सर्किल कर देना था। इस तरह से यह सारे छात्र पास हो जाते, लेकिन यह सब हो पाता उससे पहले ही गोधरा के जिला प्रशासन को यह सूचना मिल गई। उन्होंने इस सेंटर को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद प्रशासन की देखरेख में फिर यह एग्जाम हुआ।
वड़ोदरा में परशुराम रॉय नाम का एक शख्स अपनी ओवरसीज कंसल्टेंसी सर्विस चलाता है। मेडिकल की परीक्षा पास करवाने के लिए बच्चे यही इकट्ठे करता है। इसने गोधरा में स्कूल के प्रिंसिपल पुरुषोत्तम शर्मा से सेटिंग की। एनटीए ने इन्हीं प्रिंसिपल साहब को डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर बनाया था।
इसी स्कूल का एक टीचर तुषार भट्ट था। वो भी इसमें शामिल था। वो एग्जाम का डिप्टी कोऑर्डिनेटर था। पुलिस को उसी दिन तुषार भट्ट की कार से 07 लाख रुपये मिले। पूरी जांच की गई तो परशुराम रॉय के ऑफिस से 02 करोड़ 30 लाख के चेक भी मिले। साथ ही पुलिस को बहुत से ब्लैंक चेक भी मिले हैं.एल।
सवालों के घेरे में एनटीए और शिक्षा मंत्री के बयान
अब जब गोधरा के एक सेंटर पर यह हो सकता है तो फिर देश के किसी भी सेंटर पर यह सेटिंग हो सकती है। मगर, एनटीए अपना पल्ला ही झाड़ती रही। इस बार के एग्जाम में 67 बच्चों को 100% मार्क्स मिले हैं। यह इसलिए असंभव माना जा रहा है , क्योंकि इससे पहले नीट के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.2016, 2017, 2018और 2019 में तो एक भी छात्र को 720 नंबर नहीं मिले थे।
2016 में टॉप करने वाले छात्र को 685, 2017 में 697, 2018 में 691 और 2019 में 701 नंबर मिले थे। 2020 में दो, 2021 में तीन और 2023 में सिर्फ दो छात्रों को पूरे 720 नंबर मिले। इस बार तो यह पूरा रिकॉर्ड टूट गया। इसीलिए सवाल ज्यादा उठ रहे हैं।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कह रहे हैं कहीं कोई पेपर लीक नहीं हुआ, जो अपने आप में झूठ है। पेपर लीक की एफआईआर तो पटना की शास्त्री नगर पुलिस पहले ही दर्ज कर चुकी है और 13 लोगों को गिरफ्तार भी कर चुकी है। गोधरा घटना भी पेपर लीक साबित करती है। बिहार की आर्थिक अपराध शाखा को एन टी ए ने अभी तक मूल प्रश्न पत्र उपलब्ध नहीं कराया है, जिसके लिए आर्थिक अपराध शाखा तीन बार लिख चुकी है।
एनटीए ने कोर्ट में मानी गलती
एनटीए की तरफ से सफाई आई है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी, इसलिए ज्यादा टॉपर निकले। हालांकि, यह सफाई गले इसलिए भी नहीं उतरती क्योंकि एनटीए कोर्ट में अपनी एक गलती तो मान ही चुका है और यह गलती थी स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देने की। एनटीए पर जब सवाल उठे तो उसने यह माना कि इस बार उसने छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए हैं क्योंकि कई जगह एग्जाम देरी से शुरू हुआ था।