प्रशासन कैसे संभाले चारधाम यात्रा व्यवस्था, जब मुख्य सचिव के आदेश नहीं मान रहे वीआईपी

श्री बदरीनाथ/श्री केदारनाथ। उत्तराखण्ड राज्य को कभी कभार उतड़दण्ड राज्य की संज्ञा भी दे दी जाती है, जिसका मुख्य कारण कानून और व्यवस्था में गजब की नाफरमानी की जानी मुख्य है। हालिया घटना चार धाम यात्रा के संदर्भ में मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड सरकार, राधा रतूड़ी के 30 अप्रैल को जारी आदेश की अवहेलना राज्य के महामहिम राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किए जाने को लेकर है।

 

चारधाम यात्रा  निर्विघ्न संपन्न करवाना उत्तराखण्ड सरकार के लिए किसी युद्ध जीत लेने से कम नहीं है। इसी की तैयारियों के मद्देनजर उत्तराखण्ड सरकार की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा 30 अप्रैल को ही समस्त राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख चार धाम यात्रा को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए 25 मई तक किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए किसी भी वीआईपी मूवमेंट न किए जाने का आग्रह किया गया था।

जैसा कि पत्र में भी लिखित था कि अन प्रिडिक्टेड फुट फॉल की आशंका थी, जो सही साबित हुई और जाम खुलवाने में शासन प्रशासन के हाथ पाँव फूल गए। मगर शायद मुख्य सचिव द्वारा जारी यह पत्र देश के अन्य प्रदेशों तक तो पहुँचा, मगर महामहिम राज्यपाल एवम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक शायद यह पत्र पहुँचा ही नहीं और वे श्री केदारनाथ धाम और श्री बदरीनाथ धाम क्रमश: पहुँच गए। बचाव के लिए यह तर्क जरूर दिया जा सकता है कि आदेश प्रदेश के बाहर के वीआईपी लोगों के लिए था, प्रदेश के वीआईपी लोगों के लिए नहीं, मगर जब स्थिति की अव्यवस्था दोनों स्थितियों में एक ही होनी थी, तब……।

 

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