नई दिल्ली। हाई कोर्ट ने महेंद्र कुमार खंडेलवाल बनाम ईडी के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि यदि 365 दिनों की जांच के बाद भी बाद कुछ साबित नहीं होता है, तो फिर संपत्ति को सीज करने की अवधि लैप्स हो जाती है।
यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ चल रही जांच में एक साल के बाद भी कोई आरोप साबित नहीं हो पाता है, तो फिर ईडी को उसकी जब्त की गई संपत्ति लौटानी होगी।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि एक साल के बाद भी आरोप साबित न हो पाने पर ईडी को जब्त सम्पत्ति वापस करनी पड़ेगी।
अदालत ने कहा कि यदि 365 दिनों की जांच के बाद भी कुछ साबित नहीं होता है तो फिर संपत्ति को सीज करने की अवधि लैप्स हो जाती है। फिर उस संपत्ति को संबंधित शख्स को लौटाना होगा।