धारचूला। मूल निवास 1950 के ना होने और भू कानून में भाजपा सरकार द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण पहाड़ के छोटे छोटे कस्बे भी प्रभावित होने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में सामने आया है। बाहरी लोगों के द्वारा लगातार अनर्गल हरकतों से परेशान हो धारचूला के व्यापारियों ने बाहर बंद रखा और प्रदर्शन कर बाहरी लोगों को धारचूला से बाहर करने की मांग की। धारचूला बंद का असर पड़ोसी देश नेपाल के बाजार तक पड़ा।
व्यापार संघ के महासचिव महेश सिंह गर्ब्याल और कोषाध्यक्ष खड़क सिंह दानू के नेतृत्व में स्थानीय लोग बृहस्पतिवार को गांधी चौक में एकत्र हुए। बाद में उन्होंने गांधी चौक, विवेकानंद चौक, घटधार, मल्ली बाजार और अटल चौक से गुजरते हुए प्रदर्शन किया। गांधी चौक में हुई सभा में महासचिव गर्ब्याल ने कहा कि बाहर से आए लोग क्षेत्र में अराजकता फैला रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पनप रहा है
ब्लॉक प्रमुख धन सिंह धामी ने कहा कि यह आंदोलन किसी जाति, धर्म या व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। क्षेत्र में सांस्कृतिक, व्यापारिक तौर पर तेजी से बदलाव हो रहा है जो सीमांत के स्थानीय लोगों में भविष्य को लेकर चिंता पैदा कर रहा है। भाजपा नेता महेंद्र सिंह बुदियाल ने कहा कि सीमांत क्षेत्र में स्थानीय लोगों का व्यापार पूरी तरह से चौपट हो चुका है। बाहर से आए व्यापारियों ने पगड़ी प्रथा को भी बढ़ावा दिया है। इससे स्थानीय गरीब व्यक्ति के लिए दुकान तक लेना मुश्किल हो गया है। वीरेंद्र सिंह, अर्चना गुंज्याल और शकुंतला आगरी ने भी बाहरी लोगों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने राज्य में मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून बनाने की मांग की।