छिनका, चमोली। सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप बमपाल ने बताया कि सब कहते हैं इंडिया नाम हमारे देश को अंग्रेज़ों ने दिया। लेकिन, यह व्याख्या बहुत हद तक जस्टिफाई नहीं कर रही है। इंडिया शब्द इंडस वैली सिविलाइजेशन से आया और इसी शब्द से इंडस्ट्री शब्द का अवतरण हुआ।
वह इसलिए कि बौध साहित्यकारों का यह भी कहना है कि प्राचीन भारत में केवल दो वर्ग के लोग थे- बमन और समन।
समन वर्ग के लोग श्रम अथवा मेहनत वाले व्यावसाय से जुड़े लोग थे, शिल्पियों का समाज था, और हम शिल्पी कैसे?
यूएन
बता रहा हूँ। हमारा पहला ताकू मतलब तकली सिंधु घाटी की खुदाई में ही मिला।
तो जो हमारे उत्तराखण्ड में एक दूसरे का अभिवादन के लिए शब्द “स्यो समन्या ” वह यह बताता है श्रमजीवी समाज की जय हो।
इसी प्रकार बद्रीनाथ की जयकारा लगाने के लिए पुराने समय में माणा वाले स्यो नामलो कह कर लगाते थे।
हाईलैंडर हिमालय में नामलो बुद्ध को ही कहा जाता है।
इस प्रकार सेवा समन्या के बजाय स्यो समन्या अधिक शुद्ध, मौलिक और प्राचीन है।
दोनों के मूल भाव में भी जमीन आसमान का अंतर है।
स्यो समन्या का मूलभाव ठीक वैसा ही है जैसा हर बुंदेलखंडी एक दूसरे का अभिवादन जय बुंदेला कह के करता है। जय उत्तराखण्ड