कॉर्बेट टाइगर घोटाले के जिन्न ने फिर मचाई हलचल, सीबीआई ने पाँच वन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी

देहरादून। उत्तराखण्ड के बहुचर्चित कार्बेट टाइगर रिजर्व घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो, सीबीआई ने एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है। टाइगर सफारी के नाम पर 6000 से अधिक पेड़ों के अवैध कटान और नियमविरुद्ध निर्माण कार्यों के मामले में सीबीआई ने पांच वन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति शासन से मांगी है। इससे वन विभाग में हड़कंप मच गया है।

यह मामला हरक सिंह रावत के भाजपा में वन मंत्री रहते हुए प्रकाश में आया था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की जांच में भारी अनियमितताएं उजागर हुईं थीं। पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन भूमि पर बिना स्वीकृति टाइगर सफारी का निर्माण और 6000 से अधिक पेड़ों का अवैध कटान सामने आया।

मामले की शुरुआत विजिलेंस जांच से हुई थी, जिसके तहत तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा को निलंबित कर गिरफ्तार किया गया। बाद में हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई को जांच सौंपी गई, जिसने अक्टूबर 2023 में केस दर्ज किया। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी दिसंबर 2023 से अपनी जांच शुरू की।

ईडी ने फरवरी 2024 में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत, उनके परिजनों और करीबी अधिकारियों के 17 ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, काशीपुर और श्रीनगर जैसे स्थान शामिल रहे। ईडी ने इस कार्रवाई में 1.10 करोड़ रुपये नकद, 1.3 किलो सोना, 10 लाख रुपये विदेशी मुद्रा और कई डिजिटल उपकरण बरामद किए।

ईडी ने पूर्व डीएफओ किशन चंद की 31.8 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की, जिसमें रुड़की में स्कूल, स्टोन क्रशर और अन्य अचल संपत्तियां शामिल हैं। वहीं जनवरी 2025 में हरक सिंह रावत के बेटे के शिक्षण संस्थान “दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज” की 101 बीघा भूमि को 70 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के रूप में अटैच किया गया।

इस पूरे मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। इनमें तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग (अब दिवंगत), मुख्य वन संरक्षक सुशांत पटनायक, कार्बेट निदेशक राहुल, डीएफओ अखिलेश तिवारी, किशन चंद, रेंजर मथुरा सिंह, बृज बिहारी शर्मा और एलआर नाग शामिल हैं। अब सीबीआई ने इनमें से पांच अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर ली है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का एक मात्र उद्वेश्य राज्य की परिसंपत्तियों की लूट और पैसे की बर्बादी है। एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि अगर भाजपा कांग्रेस के नेताओं की आपसी सांठ गांठ नहीं होती तो उत्तराखण्ड आज कर्ज में डूबा प्रदेश न होता। उन्होंने कहा कि भाजपा में रहते जिस हरक सिंह रावत के भ्रष्टाचार को कांग्रेस उजागर कर रही थी, वही हरक सिंह रावत जैसे ही कांग्रेस में आए कट्टर ईमानदार हो गए।

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