मूल निवासियों ने स्थाई निवास प्रमाणपत्र का क्या किया जानें

उत्तराखंड में मूल निवास और भू-कानून को लागू करनी की मुहिम के तहत रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि में मन्दाकिनी नदी में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, उत्तराखंड क्रान्ति दल एवं व्यापार संघ द्वारा स्थाई निवास प्रमाणपत्र की प्रतियां प्रवाहित की गई। वहीं उत्तरकाशी गंगनानी बड़कोट में लोगों ने यमुना नदी में स्थाई निवास की प्रतियां प्रवाहित की।
यूकेडी के वरिष्ठ नेता पृथ्वीपाल सिंह रावत ने कहा कि राज्य बनने के 23 साल बाद भी मूल निवास भू-कानून लागू न होना भाजपा कांग्रेस की राजनैतिक विफलता है। इस वजह से आज पूरे पहाड़ में बाहरी लोगों का वर्चस्व हो गया है।

व्यापार संघ के प्रदेश संगठन मंत्री मोहन रौतेला ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे नौनिहालों के भविष्य के लिए उत्तराखंड में मूल निवास और भू-कानून जरूरी है। अब यह हमारे अस्तित्व का अहम सवाल बन गया है। आज इस मुद्दे पर राज्य में हर जगह से आवाज उठ रही है।
कोटद्वार में उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि मूल निवास 1950 ही राज्य को बाहरी माफियाओं के हस्तक्षेप से बचा सकता है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली हर क्षेत्र में अपने योग्य होने का प्रमाण दे रहा है, मगर उसे अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए पलायन करना पड़ता है। वही प्रतिभा यहां तब रुक सकती है जब मूल निवास और भूमि सुधार कानून उत्तराखण्ड की परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जाएगा । जिसका विरोध भाजपा कांग्रेस कर रही हैं।

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