नीट यूजी विवाद में बैक फुट पर आना ही पड़ा मोदी सरकार को, एनटीए के डीजी को हटाया, परीक्षा सुधारों के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की

नई दिल्ली। एनटीए द्वारा आयोजित की गई नीट यूजी परीक्षा घपला में पूरे देश में उठे विवाद के बाद भी मोदी सरकार पूर्व की भांति पीछे हटने को तैयार नहीं थी, यहाँ तक कि नीट यूजी की परीक्षा के दिन पटना पुलिस द्वारा इस मामले में एफआईआर दर्ज कर 13 लोगों को गिरफ्तार किए जाने के बाद भी देश के शिक्षा मंत्री पूरी मीडिया को यह बयान दे रहे थे कि परीक्षा में कहीं कोई लीक नहीं हुआ है।

माननीय शीर्ष न्यायालय की सख्ती और आम जनता के गुस्से से डरी मोदी सरकार ने अब बैक फुट पर आते हुए एनटीए के महा निदेशक सुबोध कुमार को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह सेवानिवृत आईएएस अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। खरोला अभी भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन के अध्यक्ष हैं।

उधर बिहार पुलिस ने नीट यूजी परीक्षा लीक मामले में झारखंड के देवघर जिले से छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान परमजीत सिंह उर्फ बिट्टू, चिंटू उर्फ बलदेव कुमार, अजीत कुमार, राजीव कुमार उर्फ कारू (सभी नालंदा निवासी) और पंकू कुमार के रूप में हुई है।

उधर सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के  कुशीनगर में इसी संबंध में एक युवक से पूछताछ की है। प्रश्नपत्र का एक हिस्सा टेलीग्राम पर पोस्ट करने वाले संदिग्ध निखिल से पडरौना कोतवाली में पूछताछ की गई। उसने परीक्षा के लिए कोटा में कोचिंग ली थी।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार की हटधर्मिता बताती है कि लाखों युवाओं के जीवन से खिलवाड़ करने वाले मोदी सरकार में कितने शक्तिशाली हैं, और युवाओं को अपनी परीक्षा की तैयारी करने की बजाय माननीय न्यायालयों से न्याय की दरखास्त लगाई जा रही है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर चुनी हुई सरकार का क्या काम है और हम लगातार ऐसी सरकार क्यों चुन रहे हैं जो एक परीक्षा सही नहीं करा पाती है, और जब बात खुलती है तो परीक्षा निरस्त करने की बजाय, परीक्षा में कोई लीक नहीं हुआ कह कर घपला करने वालों का बचाव करती है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने पूरे प्रकरण में शिक्षा मंत्री की हठधर्मिता के कारण हो रहे नुकसान की वजह से शिक्षा मंत्री को हटाने की मांग की।

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