काठमांडू। प्रधानमंत्री मोदी की विश्व गुरु की छवि भले ही बनाने की कोशिश की जा रही हो, मगर पड़ोसी देशों से बढ़ते विवादों के बाद पड़ोसी देशों द्वारा भारत के खिलाफ की जा रही कार्यवाहियों ने मोदी सरकार की पेशानी पर बल ला ही दिये हैं।मालदीव के साथ विवाद सुलझा नहीं था और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव का आम चुनाव भारत विरोधी भावना के तहत लड़ा और भारी बहुमत से जीता।
अब नेपाल के साथ भारत के रिश्ते तनाव के दूसरे चरण में हैं। मोदी सरकार की एक तरफा नीति का नेपाल समर्थन नहीं करता। यद्यपि नेपाल के साथ भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और सिक्किम राज्यों के रोटी बेटी के संबंध आज भी कायम हैं। गढ़वाल की महारानी और टिहरी लोकसभा से सांसद और भाजपा उम्मीदवार महारानी राज लक्ष्मी शाह भी मूलत: नेपाल की रहने वाली हैं। नेपाल में नेपाली कांग्रेस का गठन भी कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से प्रेरित हो किया गया। नेपाल की कोइराला परिवार समेत कई राजनेताओं ने भारत में अपने अध्ययन प्रवास के दौरान कांग्रेस के स्वतंत्रता आंदोलन में समर्थन दिया और नेपाल में लोकतंत्र की मूल विचारधारा का उद्गम भारत ही माना गया। नेपाल से चीन आज भी भौगौलिक रूप से बहुत विकट व दूर है, मगर मोदी सरकार के मनमाने फैसलों ने दुनिया के एकमात्र हिंदू राष्ट्र रह चुके नेपाल को भी भारत विरोधी लहर के सहारे सत्ता में आने का साधन बना दिया।
नेपाल पहले से ही चाहता है कि भारत उससे समांतर व्यवहार करे, न कि किसी छोटे राष्ट्र की तरह। मोदी सरकार ने शायद नेपाली कांग्रेस का विश्वास जीतने की वैसी कोशिश नहीं जैसी कि, की जानी चाहिए थी, और नेपाली वामदलों को भी भाव नहीं दिया, इसकी वजह ब्यूरोक्रेट्स की पूर्व सोच हो सकती है कि लैंड लॉक्ड देश को भारत की तरफ झुकना ही पड़ेगा। मगर इस नीति का उल्टा असर पड़ रहा है और भौगालिक विषमता के बावजूद चीन भारत के मुकाबले नेपाल के ज्यादा नजदीक आ रहा है।
हाल ही में मोदी सरकार द्वारा लागू की गई अग्निवीर योजना के घाटे को समझते हुए नेपाल ने अग्निवीर योजना नेपाली युवकों के लिए बैन कर दी थी, मगर भारत ने इस दिशा में आगे बढ़ तनाव दूर करने के प्रयास ही नहीं किये, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। नेपाल भारत सीमा विवाद इसकी एक कड़ी है।
मोदी सरकार की हरकतों से नाराज नेपाल ने सौ रुपए का नोट जारी कर भारत नेपाल के सौहार्दपूर्ण रिश्ते जो भारतीय मीडिया बताने की कोशिश कर रहा था, और इसके लिए मोदी को श्रेय दे रहा था, उस नकली रिश्ते की पोल खोल दी है। यद्यपि नोट में लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी जैसे भारतीय क्षेत्र को अपना बताया है, उससे कुछ बिगड़े न बिगड़े नेपाल ने संकेत दे दिए हैं कि नेपाल और भारत के बीच सब कुछ ठीक नहीं है, विश्वगुरू की छवि बनाने के लिए कुछ कहते करते रहें, ये अलग बात है कि हकीकत अलग है।