नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी एवम न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने दूनघाटी को ईको सेंसटिव जोन घोषित करने के साथ ही मास्टर पालन के मुताबिक विकास कार्य नहीं करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए सरकार से पूछा है कि, पहाड़ में जो निदेशालय स्थापित हैं, उनमें कितने विभागों के अफसर देहरादून में कैम्प ऑफिस बनाकर जमे हुए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई को सात जून नियत की है।
पूर्व में पीठ ने शहरी विकास सचिव को पूछा था कि बल्लीवाला व आइएसबीटी फ्लाई ओवर का निर्माण किस स्वीकृत मानचित्र के अनुसार किया गया। अभी तक स्वीकृत मानचित्र के अनुसार फ्लाई ओवर का निर्माण नहीं हुआ, गलत मानचित्र की वजह अभी तक 40 लोग अपनी जान दे चुके हैं। सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने को समय मांगा गया
देहरादून निवासी आकाश वशिष्ठ ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 1989 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय केंद्र सरकार ने दूनघाटी को ईको सेंसटिव जोन घोषित किया गया था। 34 साल बीत जाने के बाद भी इस शासनादेश को प्रभावी तौर पर लागू नही किया गया। जिसकी वजह से दूनघाटी में नियमविरुद्ध तरीके से विकास कार्य ,खनन, पर्यटन व अन्य गतिविधियां गतिमान है। विकास कार्यों को मास्टर प्लान नही है न ही पर्यटन के लिए पर्यटन विकास योजना बनाई गई । जिसकी वजह से नियम विरुद्ध विकास कार्य हो रहे है। जनहित याचिका में कहा गया कि दूनघाटी मेंन समस्त विकास कार्य मास्टर प्लान के अनरूप हों। विकास कार्य करने से पहले वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति ली जाय।