रैलियों में भीड़ जुटाना बनी बड़ी समस्या, त्रिवेंद्र रावत के समर्थन में नहीं जुट सकी उम्मीद की अपेक्षा के अनुसार भीड़

हरिद्वार।  आचार संहिता लागू होने से पहले भारत सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं को लेकर भाजपा ने पार्टी पदाधिकारियों को योजनाओं में सम्मानित करवाया। मुख्यमंत्री की रैली में कर्मचारियों और अधिकारियों को बुलवा कर भीड़ इक्कठी करवाई गई। विभिन्न महिला संस्थाओं को कोई न कोई झुनझुना पकड़ाने का वादा कर भीड़ जुटाई गई। मगर चुनाव आते ही मामला बदल गया, अब प्रत्याशियों को भीड़ जुटाना मंहगा पड़ रहा है। 

त्रिदेव सम्मेलन में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान सम्मेलन में बड़ी भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ के पहुंचने की उम्मीद जताई गई थी, मगर असल में जो हुआ उसकी तस्दीक जनसभा में खाली कुर्सियां ने कर दी।

त्रिदेव सम्मेलन में शुरुआती कुर्सियों तो भरी हुई नजर आईं, लेकिन पीछे की कुर्सियां खाली थीं। त्रिदेव सम्मेलन में बीजेपी ने जो कार्यकर्ताओं और जनता के पहुंचने की उम्मीद जताई थी, उतने कार्यकर्ता और जनता सम्मेलन में नहीं पहुंची।

अनुमान है कि करीबन 700 से 800 लोग ही त्रिदेव सम्मेलन में पहुंचे। उधर, रोड शो में भी जिस तरह की उम्मीद जताई जा रही थी, वो भी सिफर रही।

विपक्ष ने इस पर चुटकी लेने के साथ ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, जहाँ निर्दलीय उमेश कुमार को सुनने के लिए लोग रात साढ़े बारह बजे तक भी मौजूद रह रहे हैं, वहाँ तमाम तामझामों के बावजूद सत्ताधारी दल अपनी ताकत का अहसास नहीं करवा पा रहा है।

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