देहरादून। भाजपा शासनकाल में उत्तराखण्ड में शहरों का नियोजन होने की बजाय नियोजन के नाम पर अनियोजित विकास को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। देहरादून का पूर्व मास्टर प्लान जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था और अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, के बावजूद नया मास्टर प्लान लेकर आया गया जबकि देहरादून में मास्टर प्लान बिना पर्यावरण स्वीकृति के अनुमन्य नहीं है।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग की देहरादून के मास्टर प्लान बनाने में संदिग्ध भूमिका है और चीफ टाऊन प्लानर को भ्रष्टाचार के एक मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सस्पेंड करने के आदेश दिए थे जिसे सचिवालय के अधिकारियों ने मिलीभगत कर अटैचमेंट आदेश में बदल दिया। जिस भ्रष्टाचार में चीफ टाऊन प्लानर को अटैच किया गया था उसकी जाँच का तो पता चला नहीं मगर चीफ टाऊन प्लानर को चुपचाप बहाल कर दिया गया।
चीफ टाऊन प्लानर की मार्क शीट भी विवादास्पद है। केवल फाइनल ईयर की मार्कशीट है जिसमें पूर्व के अंक जुड़े हुए हैं, मगर पूर्व में अलग से कोई मार्क शीट नहीं है और राजस्थान विश्वविद्यालय भी उस मार्क शीट और डिग्री को इंडोर्स करने को तैयार नहीं है।
अब इस विभाग के अनुसूचित जाति के चालक ने अनुसूचित होने के कारण उसके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। जिसकी जाँच अनुसूचित जाति आयोग कर रहा है।
