नई टिहरी। एक तरफ भाजपा सरकार देहरादून में बैठकर पलायन रोकने के लिए चिंतन करने का बहाना करती है, तो दूसरी तरफ पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधायें खुद वेंटीलेटर पर हैं, ऐसे में आम इंसान पलायन न करे तो क्या करे।
उत्तरकाशी के नौगाँव में करीब एक दशक से विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। अस्पताल में 12 पद सृजित हैं मगर नाम के लिए एक दंत रोग विशेषज्ञ तैनात है। यमुना घाटी का केंद्र होने के कारण नौगाँव अस्पताल में हर दिन बड़कोट, पुरोला और मोरी से मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी की वजह से ग्रामीणों को देहरादून या विकासनगर जाना पड़ता है।
नई टिहरी के जिला अस्पताल में छह लाख लोगों पर महज एक रेडियोलॉजिस्ट है, जिसके चलते अल्ट्रासाउंड करवाना आज भी पहाड़ चढ़ने के समान है। जिले में जिला अस्पताल बौराडी, उप जिला अस्पताल नरेंद्रनगर, 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पाँच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप बी और 49 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप ए हैं। इनमें एक रेडियोलॉजिस्ट सप्ताह में तीन दिन जिला अस्पताल बौराडी और तीन दिन उप जिला अस्पताल नरेंद्रनगर में अल्ट्रा साउंड करता है।
सीएचसी बेलेश्वर देवप्रयाग में पिछले नौ माह से और सीएचसी थत्युड में चार साल से अल्ट्रा साउंड की सुविधा बंद है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि पहाड़ों में लोगों को जागरूक होना पड़ेगा नहीं तो पहाड़ खाली होने से चीन का दावा बढ़ जायेगा। पार्टी का मानना है कि इसके लिए सरकार को खुद पहाड़ आना पड़ेगा, यानी देहरादून की बजाय गैरसैंण राजधानी बनानी पड़ेगी।