देहरादून। सहकारिता सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य भंडारण निगम के परिचालन प्रदर्शन और भविष्य की रणनीतियों पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक निबन्धक कार्यालय में बुलाई। बैठक का मुख्य उद्देश्य निगम की भंडारण क्षमताओं का मूल्यांकन और सुधार करना था, ताकि वर्तमान और अनुमानित वाणिज्यिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। भंडारण क्षमताओं का विस्तार करने और उन्हें बाजार की मांग के अनुसार अनुकूलित करने के महत्व पर जोर दिया।
राज्य भंडारण निगम खाद्यान्न और उर्वरकों की महत्वपूर्ण मात्रा की देखरेख करता है। इनमें भारतीय खाद्य निगम और खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के लिए खाद्यान्न, साथ ही इफको के उर्वरक शामिल हैं। वर्तमान में, निगम के पास कुल 114,998 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता है, जो विभिन्न सुविधाओं में वितरित की जाती है। यह क्षमता खाद्य विभाग के लिए आरक्षित 69,200 मीट्रिक टन, भारतीय खाद्य निगम के लिए 44,298 मीट्रिक टन और इफको के लिए 1,500 मीट्रिक टन से बनी है। निगम ने 90.31 प्रतिशत की भंडारण क्षमता उपयोग दर हासिल की है, जो परिचालन दक्षता के उच्च स्तर को दर्शाता है।
जावलकर ने अधिकारियों को सभी मौजूदा गोदामों का भौतिक निरीक्षण करने का निर्देश दिया। अधिकारियों को इन निरीक्षणों के बाद विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है, जिसमें क्षमता और उपयोग मीट्रिक दोनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
बैठक में भंडारण की बाधाओं को कम करने के लिए, दस स्थानों- खटीमा, ऋषिकेश, श्रीनगर, कोटद्वार, रामनगर, रुड़की, हरिद्वार, काशीपुर और गदरपुर में नए गोदामों के निर्माण के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इन नई सुविधाओं का लक्ष्य 48,000 मीट्रिक टन की अतिरिक्त क्षमता का योगदान देना होगा, जिससे राज्य भंडारण निगम की समग्र भंडारण क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
समीक्षा बैठक में रजिस्टार कोऑपरेटिव सोनिका, एमडी राजकीय भंडारण निगम रमिन्द्री मंद्रवाल, अपर निबन्धक ईरा उप्रेती, अपर निबन्धक आनंद शुक्ल, संयुक्त निबंधक नीरज बेलवाल, संयुक्त निबन्धक एमपी त्रिपाठी सहित सचिवालय के सहकारिता विभाग के अधिकारी थे। जिलों से जिला सहायक निबन्धक ऑन लाइन मीटिंग से जुड़े।