देहरादून। उत्तराखण्ड सूचना आयोग में द्वितीय अपील की सुनवाई पर मुख्य सूचना आयुक्त अनिल चंद्र पुनेठा ने पाया कि उपजिलाधिकारी कोटद्वार द्वारा जिलाधिकारी गढ़वाल को भ्रमित किया गया है।
कोटद्वार तहसील का खनन वालों के साथ विशेष लगाव किसी से छिपा नहीं है। हाल ही में ऐसे ही विशेष प्रेम के कारण तहसील के एक कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया, दो ड्राइवरों को कोटद्वार तहसील से स्थानांतरित भी किया गया।
सूचना का अधिकार में मुख्य सूचना आयुक्त अनिल चंद्र पुनेठा के समक्ष हुई सुनवाई में खनन सामग्री को बिना रवन्ने छोड़ दिए जाने का ऐसा ही एक और मामला सामने आया। सूचना में अपीलार्थी ने खनन सामग्री से भरे डंपरों को बिना जुर्माना छोड़ दिए जाने के संबंध सूचना चाही थी, जिस पर उपजिलाधिकारी कोटद्वार कार्यालय द्वारा बताया गया कि चुंकि उक्त डंपर स्वामियों ने वैध पारगमन पत्र (रवन्ना) दिखा दिया था, इसलिए उक्त तीन डंपर छोड़ दिए गए। इस पर अपीलार्थी ने उक्त तीनों डंपरों के वैध पारगमन पत्र मांगे थे। जिस पर लोक सूचना अधिकारी/उपजिलाधिकारी द्वारा केवल दो पारगमन पत्र उपलब्ध कराए गए, जो कि डंपर सीज किए जाने की अगली दिनांक के थे। यानी उक्त रवन्ने तब निर्गत किए गए थे, जिस वक्त डंपर राजस्व विभाग की निगरानी में थे।
उक्त मामले में प्रथम अपील जिलाधिकारी आशीष कुमार चौहान के समक्ष हुई और जिलाधिकारी ने प्रथम अपील में लोक सूचना अधिकारी द्वारा दी गई सूचना को सही पाया, जिस पर असंतुष्ट हो अपीलार्थी द्वारा आयोग में द्वितीय अपील की गई।
मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा लोक सूचना अधिकारी के प्रतिनिधि से इस संबंध ने जब जानकारी प्राप्त करनी चाही तो वे सही जवाब नहीं दे सके। लिहाजा मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सूचना आयुक्त ने जिलाधिकारी को मामले की पुनः सुनवाई व प्रकरण की जांच एक माह भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं।