नई दिल्ली। माननीय उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार और सरमा की असम सरकार को झटका देते हुए असम के सिलचर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण कार्य की गतिविधियों पर रोक लगा दी है। शीर्ष न्यायालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस आदेश को पलट दिया है, जिसमें भूमि को मंजूरी देने के खिलाफ दायर याचिका को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने खारिज कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी के बिना गतिविधियां की गईं, जो 2006 की पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा, ”हमारा मानना है कि वर्तमान मामले में अधिकारियों ने पर्यावरण मंजूरी के अभाव में साइट पर व्यापक मंजूरी देकर अधिसूचना का उल्लंघन किया है। असम सरकार ने कहा कि एक नागरिक हवाई अड्डा बनाने की जरूरत है। हवाई अड्डे का निर्णय नीति का विषय है, लेकिन जब कानून गतिविधियों को करने के लिए विशिष्ट मानदंडों का निर्धारण करता है तो कानून के प्रावधान का अनुपालन किया जाना चाहिए और अभी तक कोई पर्यावरणीय मंजूरी जारी नहीं की गई है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2006 की अधिसूचना का उल्लंघन करने वाली कोई भी गतिविधि नहीं होनी चाहिए। अदालत ने याचिका पर विचार न करके अपने कर्तव्य की उपेक्षा करने के लिए एनजीटी की भी आलोचना की। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने रिपोर्ट आने तक यथास्थिति बनाए रखने का सुझाव दिया। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को गुमराह किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने अपना पक्ष रखा और कहा कि संयुक्त सचिव के हलफनामे में गलत बयान दिये गये हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि एक बार क्लीयरेंस रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद असम सरकार काम शुरू करने के लिए आवेदन कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि श्रमिकों के घरों का निर्माण ईआईए अधिसूचना का उल्लंघन होगा।
लगभग 41 लाख झाड़ियों को हटाने के खिलाफ याचिका को एनजीटी ने 25 मार्च को खारिज कर दिया था।