नई दिल्ली। आज इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्डको अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था के कारण राजनीतिक पार्टियों को आर्थिक मदद करने के बदले में कुछ और प्रबंध करने की व्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि काले धन पर काबू पाने का एकमात्र तरीक़ा इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं हो सकता है। इसके और भी कई विकल्प है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को राजनीतिक पार्टियों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने का निर्देश भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई चुनाव आयोग को जानकारी मुहैया कराएगा और चुनाव आयोग इस जानकारी को 31 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने यह फ़ैसला सुनाया है।
इस बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले की जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने तारीफ़ की। प्रशांत भूषण ने कहा कि इस फ़ैसले से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मज़बूती मिलेगी।
माननीय उच्चत्तम न्यायालय के इस फैसले से मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने माननीय उच्चत्तम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मोदी सरकार लगातार पारदर्शिता पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है, को कि लोकतंत्र के लिए खतरा है। माननीय न्यायालय के इस आदेश से भारत में लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।