नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन मामलों में आरोपी के नियमानुसार जमानत पाने के अधिकार को खत्म करने के लिए बार बार पूरक आरोप पात्र दाखिल करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़ी फटकार लगाई। मामले में सुनवाई के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा कि किसी भी आरोपी को बिना मुकदमें के हिरासत में रखना कैद के सामान है, जो स्वतंत्रता में खलल है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने झारखण्ड में अवैध खनन से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी द्वारा एक मार्च को चार नए पूरक आरोप पत्र दाखिल करने पर कड़ी आपत्ति की। पीठ ने झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश की डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रेम प्रकाश अठारह महीनों से जेल में है, डिफ़ॉल्ट जमानत का मतलब ही यही है कि आप जाँच पूरी होने तक उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करें। आप यह नहीं कह सकते कि जब तक जाँच पूरी नहीं होती है, मुकदमा शुरू नहीं होगा। आप किसी व्यक्ति को जेल में रहने के लिए मजबूर करने के लिए बार बार आरोपपत्र दाखिल नहीं कार सकते हैं। पीठ ने कहा कि आरोपी अठारह महीनों से जेल में है, आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि पीएएमएलए कि धारा 45 भी लम्बी कैद के आधार पर जमानत देने पर रोक नहीं लगाती है। पीठ ने क़ानूनी मुद्दों पर ईडी से जवाब माँगा है। मामले कि अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।