कॉर्बेट नेशनल पार्क घोटाले में भाजपा सरकार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा मामला नौकरशाहों और नेताओं की मिलीभगत का

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मे चिड़ियाघर से बाघ लाकर सफारी के नाम पर उन्हें बफर जोन में रखने और कॉर्बेट पार्क में हुए अवैध निर्माण मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। साल 2021 में हरक सिंह रावत के वन मंत्री रहते हुए कालागढ़ रेंज में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई थी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई पहले से जांच कर रही है। वह दूसरे लोगों की भूमिका की भी जांच करे और 3 महीने में स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपे। सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में टाइगर सफारी बनाने की भी मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा है कि विस्तृत आदेश में इसके लिए जरूरी शर्तें बताई जाएंगी।

पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर किशन चंद पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन दोनों ने खुद को ही कानून मान लिया था और नियमों की उपेक्षा करते हुए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में पेड़ कटवा दिए थे।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशन चंद पर संगीन आरोप होते हुए भी वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जबरन उन्हें डीएफओ नियुक्त करवाया था।  पूरा मामला नेता और नौकरशाहों की मिलीभगत का उदाहरण है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मोदी राज में भाजपा के मंत्री अकल्पनीय भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण कॉर्बेट नेशनल पार्क में छह हजार पेड़ों का काटा जाना है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी यह बताने के लिए काफी है कि मोदी राज में भ्रष्टाचा

 

 

 

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