नई दिल्ली। भ्रष्टाचार को समाप्त करने का वादा करके आई मोदी सरकार में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। लाखों करोड़ों रुपए का घपला करके विदेश भाग जाने वाले लोगों में से एक भी व्यक्ति को मोदी सरकार वापस भारत नहीं ला पाई है, जबकि अधिकतर भगौड़ों ने जिन देशों में शरण ली है, उनसे भारत की प्रत्यर्पण संधि प्रभाव में है। उसके बावजूद इस देश का पैसा लेकर भाग जाने वाले लोगों के खिलाफ मोदी सरकार पिछले दस सालों में कतई गंभीर नहीं दिखी है।
अब बाजार नियामक ने जी इंटरटेनमेंट कंपनी के बही खातों में 20 अरब रुपए (24 करोड डॉलर) की हेरा फेरी पड़ी है। यह आंकड़ा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सेबी की जांच के शुरुआती अनुमान से करीब 10 गुना अधिक है।
बाजार नियामक ने पिछले साल कहा था कि जी समूह के संस्थापक एवं पूर्व अध्यक्ष सुभाष चंद्र और उनके बेटे व मौजूदा सीईओ पुनीत गोयल कंपनी के फंड को समूह की अन्य सूचीबद्ध इकाइयों और उनके संस्थापक शेयरधारकों की कंपनियों में स्थानांतरित करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
उधर जी कंपनी ने अपने बही खातों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इंकार किया है, और कहा है कि यह रिपोर्ट अफवाह है। सेबी से मांगी गई सभी जानकारियां हासिल करने की प्रक्रिया अभी जारी है। विदित हों कि जी समूह के संस्थापक एवं पूर्व अध्यक्ष सुभाष चंद्रा पर राज्यसभा में धोखाधड़ी कर जाने का आरोप भी लगा था।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि इन 10 सालों में विकास की प्रक्रिया धीमी हुई है, और भ्रष्टाचार की प्रक्रिया में अप्रत्याशित तेजी आई है। यूपीए के दस साल के कार्यकाल में जीडीपी, जीडीपी ग्रोथ आदि का प्रतिशत वर्तमान 10 सालों से ज्यादा रहा है। और इस समय जिस तरीके के घोटाले छुपते छुपाते भी सामने आ रहे हैं, ये घोटाले अप्रत्याशित और अकल्पनीय है। क्योंकि मोदी सरकार ने पूंजीवाद के सामने हाथ खड़े कर दिए हैं,इसलिए इस तरीके के भ्रष्टाचार की और भी कहानियाँ सामने आने वाली हैं।