नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की डबल बेंच में अवैध खनन और भंडारण पर लगाए गए 50 करोड रुपए के जुर्माने को नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी नैनीताल के द्वारा माफ किए जाने के विरुद्ध दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई।
उच्च न्यायालय ने अवैध खनन और भंडारण पर लगाए गए 50 करोड रुपए के जमाने को तत्कालीन जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा माफ किए जाने पर राज्य सरकार से जवाब तलब कर लिया है।
मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। सामाजिक कार्यकर्ता भुवन पोखरिया ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिकादायर कर कहा कि वर्ष 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का करीब 50 करोड रुपए का जुर्माना माफ कर दिया था। याचिकाकर्ता के अनुसार जिलाधिकारी नैनीताल ने केवल उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया था, जिन पर जुर्माना करोड़ों रुपयों में था। कम जुर्माना वालों को माफी की सुविधा नहीं दी गई थी।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस के शासनकाल में अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश के खजाने को लगातार चूना लगाने का काम चलता रहा है।