निगम अधिकारियों की लापरवाही पड़ रही सरकार और जनता को भारी, खर्च के बावजूद सुविधा से महरूम कोटद्वार की गरीब जनता

नगर निगम कोटद्वार के पूर्व अभियंता अखिलेश खंडूड़ी और पूर्व सहायक नगर आयुक्त जोशी के द्वारा की गई गड़बड़ियों के कारण गाड़ीघाट में निर्माणाधीन रैन बसेरा भूमि पर विवाद सामने आया, जिस वजह से नगर निगम कोटद्वार रैन बसेरा नहीं चला पा रहा है, और हिंदू पंचायती धर्मशाला के पांच कमरों व एक हाल में निगम को रैन बसेरा चलाना पड़ रहा है।
बताते चलें कि निगम ने पूर्व में गाड़ीघाट तिराहे पर स्थित एक भूमि का चयन कर रैन बसेरे के निर्माण कार्य के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। शासन की ओर से रैन बसेरे के निर्माण के लिए 98 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी। नवंबर 2021 में नगर निगम की ओर से रैन बसेरे का निर्माण शुरू किया गया तो,नगर निगम कोटद्वार के तत्कालीन पार्षद विपिन डोबरियाल के द्वारा उक्त भूमि के नगर निगम की भूमि होने पर सवाल खड़ा किया गया था। मगर तत्कालीन अधिकारियों द्वारा उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उसके बाद रेलवे ने 20 जून 2022 को उसे भूमि को अपना बताते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी।
रैन बसेरा के प्रस्ताव की फाइल देखने पर पता चला है कि नगर निगम के पूर्व अभियंता खंडूड़ी और पूर्व सहायक नगर आयुक्त जोशी के द्वारा पत्रावली में बिना जांच किये ही उक्त भूमि को नगर निगम की बता दिया गया। किसी भी प्रस्ताव में जब भी किसी भी सरकारी भूमि पर निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा जाता है तो, उसके साथ उक्त भूमि के स्वामित्व के प्रपत्रों की छायाप्रतिलिपि भी लगाई जाती है। मगर रैन बसेरा के उक्त प्रस्ताव में उक्त भूमि के स्वामित्व के संबंध में किसी भी प्रपत्र की छाया प्रतिलिपि नहीं लगाई गई है।

उक्त भवन निर्माण में भी उत्तराखण्ड भवन निर्माण उपाविधि विनियम 2011 का अनुपालन नहीं किया गया है और उक्त भवन निर्माण की स्वीकृति जिला विकास प्राधिकरण के क्षेत्रीय कार्यालय कोटद्वार से नहीं ली गई है। जिससे उक्त भवन के सुरक्षित होने पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।

पूर्व पार्षद विपिन डोबरियाल ने आरोप लगाया कि नगर निगम के अधिकारीगण केवल बजट खपाने में रुचि लेते हैं। उन्हें नगर के विकास में कोई रुचि नहीं है। इन्हीं वजहों से ऐसे कई प्रकरण सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक प्रकरण रक्षा संपदा विभाग की संपत्ति से जुड़ा हुआ सामने आया है। ऐसा ही पशुपालन विभाग की बगल की जमीन भी अन्य विभाग द्वारा अपनी बताई गई है।
ऐसे में स्पष्ट है कि नगर निगम कोटद्वार में शासन द्वारा निर्गत नियमों और शासनादेशों का उल्लंघन हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *