कोटद्वार। उत्तराखण्ड में चल रहे लोकसभा चुनाव में जैसे जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही वैसे वैसे उत्तराखण्ड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन लोकसभा सीटों पर मुकाबला कड़ा होता जा रहा है।
नामांकन की तारीखों तक जैसा कि दोनों राष्ट्रीय दलों से उम्मीद थी, उनके राज्य स्तरीय नेताओं ने ठीक वही किया। उत्तराखण्ड में भाजपा ने लोकसभा की पांचों सीटों पर मोदी को ही चुनाव में नैय्या पार लगाने का प्रमुख पहला व आखिरी कारक माना और टिहरी, नैनीताल और अल्मोड़ा लोकसभा सीटों से पुनः वही प्रत्याशी उतार दिए जिनके दर्शन करने उक्त लोकसभा क्षेत्र के वासियों को करने दुर्लभ हो गए थे।
विकास के नाम पर इन तीनों प्रत्याशियों की झोली में कुछ भी नहीं है। और तो और इन सांसदों के गोद लिए गाँव अपने आप इनकी विकास की सोच दिखा और दर्शा देते हैं। इस लिए लगातार सांसद बने रहने के बावजूद आज भी इस लोकसभा चुनाव में इनकी जीत केवल मोदी फैक्टर के हाथों में है।
उधर कांग्रेस ने इन तीनों सीटों पर अप्रत्याशित उम्मीदवार उतार कर लोगों को यह कहने का मौका दे दिया कि कांग्रेस ने ये तीनों सीटें भाजपा को दान कर दी हैं। इस महान दान के ऐवज में कांग्रेस प्रदेश के बड़े नेताओं को क्या मिला नहीं मिला यह समय के गर्भ में है। ऐसा इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि कांग्रेस ने अपने बड़े चेहरों को चुनाव में नहीं उतारा। अगर यह भी माना जाता कि मोदी लहर के कारण बड़े नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, तो यह कहना गलत होगा। हकीकत यह है कि भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओं को सेटिंग गेटिंग की राजनीति पसंद आ गई है और अब वे राज्य हितों के लिए सड़कों पर उतरने की बजाय अपने पदों के फायदे उठाने में लगे हैं।
टिहरी लोकसभा की सीट जिसके बारे में यह कहा जा रहा था कि कांग्रेस में हार के डर से ही कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इस सीट से लड़ने के लिए मना कर दिया था, उस सीट को एक 26 साल के युवा बॉबी पंवार ने मुकाबले में ला दिया है। इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस जैसी पार्टी जिसके पास कैडर कार्यकर्ता, वोट बैंक और पैसा जो एक चुनाव लडने के लिए चाहिए, सब है। उस पार्टी के लाभान्वित नेता अगर वाकई समाजसेवा को राजनीति के माध्यम से करना अपना ध्येय मानते तो यकीनन हार जीत की परवाह किए बिना ही लोगों के संघर्ष को धार देने के लिए चुनाव के मैदान में उतरते। लेकिन कांग्रेस के रणछोड़दासों ने बता दिया कि क्यों राज्य में विपक्ष इतना कमजोर है और सत्ता पक्ष बिना कुछ किए धरे चुनाव जीत रहा है।