शीर्ष अदालत ने खोली धामी सरकार की पोल, लाइसेंसिंग अथॉरिटी को लगाई कड़ी फटकार, पूछा बिजली की गति पहले कहाँ थी?

नई दिल्ली। कल सुप्रीम कोर्ट में रामदेव और बालकृष्ण की पतंजलि और दिव्य फार्मेसी कंपनी के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब आप हिलाना चाहते हैं, तो बिजली की तरह चलते हैं। जब आप नहीं चाहते तो आप चलते ही नहीं है। तीन दिनों में आपने वह सब कर लिया जो आपको पहले करना चाहिए था।

पीठ ने इस मामले में सालों तक निष्क्रिय पड़े रहने के लिए उत्तराखण्ड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के सामने अथॉरिटी की ओर से पेश वकील ध्रुव मेहता ने की गई कार्रवाई का विवरण बताया और अदालत को यह भी बताया कि अथॉरिटी ने केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को कुछ पतंजलि उत्पादों के निलंबन करने के बारे में सूचित किया है। इस पर न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने टिप्पणी की अब अथॉरिटी को अपनी शक्ति का एहसास हुआ है। पीठ ने अथॉरिटी की ओर से दायर हलफनामें पर यह कहते हुए भी आलोचना की, कि इसमें पहले की गई कार्रवाइयों का विवरण शामिल नहीं है, और सतर्क रहने के उसके दावों का समर्थन नहीं किया गया है। पीठ इस बात से भी ना खुश थी कि  हलफनामें का एक पैराग्राफ यह बताने के लिए दोहराया गया था, कि अथॉरिटी सतर्क थी।

पीठ ने अथॉरिटी के एक अधिकारी से भी सीधे और तीखे  सवाल किये ।वर्तमान अधिकारियों और उनके पांच पूर्वर्तियों के अनुरोध पर पीठ ने उन्हें एक नए हलफ़नामें को दाखिल करने की अनुमति दी। पीठ ने अथॉरिटी को 10 दिनों के भीतर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अथॉरिटी से जुड़े मामले में अगली सुनवाई 14 मई को होगी। शीर्ष अदालत ने संयुक्त निदेशक मिथिलेश कुमार की अध्यक्षता वाले उत्तराखण्ड लाइसेंसिंग प्राधिकरण के एक हलफनामें पर भी आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया था, कि उन्होंने अदालत के 10 अप्रैल के आदेश के बाद पतंजलि आयुर्वेद और दिव्या फार्मेसी के खिलाफ कार्रवाई की है। पीठ ने कहा आपने ऐसा क्यों कहा, कि आप अदालत के निर्देश के अनुसार कार्रवाई कर रहे हैं। हमने आपसे कहा था कि आप स्वयं करें। आप चतुराई से खेल रहे हैं। इसे हमारे कंधों पर ना डालें।

कोर्ट ने अथॉरिटी के वकील से सवाल किया कि बीते दिनों में आपने वह सब कर लिया था,जो करना चाहिए था, तो आप वर्षों की निष्क्रियता को अब कैसे समझाएंगे? निरीक्षण करने के लिए वरिष्ठ अथॉरिटी के आदेशों का उल्लंघन क्यों किया? 6 साल तक सब कुछ अधर में क्यों था?

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