मसूरी में युवती के अपहरण की कोशिश ग्रामीणों ने की नाकाम, शांत वादियों में चली गोलियाँ

सुनील सोनकर, मसूरी। मसूरी में कैंपटी गांव में ग्रामीण अभी दिन की शुरुआत कर ही रहे थे कि अचानक दो गाड़ियों में सवार कुछ अज्ञात युवक गांव में दाखिल हुए और एक युवती को जबरन उठाकर ले जाने की कोशिश करने लगे। जब गांव वालों ने इसका विरोध किया, तो बदमाशों ने पिस्टल निकाल कर खुलेआम पांच राउंड हवाई फायरिंग कर दी। फायरिंग की आवाज सुनते ही गांव में कोहराम मच गया। बदमाशों ने कुछ ग्रामीणों पर पिस्टल तान दी। हालांकि ग्रामीण पीछे नहीं हटे, लोगों ने गजब की बहादुरी दिखाते हुए दो बदमाशों को पकड़ लिया।

ग्रामीणों ने दो बदमाशों को घेर लिया,जबकि बाकी आरोपी जंगल का फायदा उठाकर भाग निकले। ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। घटना की सूचना मिलते ही मसूरी कोतवाल संतोष कुंवर खुद फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। भारी भीड़ और आक्रोश के बीच दो घायल युवकों को पुलिस मसूरी उप जिला चिकित्सालय ले गई। जहां से उनकी हालत गंभीर होने पर दोनों को 108 एंबुलेंस के जरिए से हायर सेंटर, दून मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। वहीं इस घटना में कैंपटी पुलिस के एसआई भी घायल हो गए, जिनको भी उप जिला चिकित्सालय लाया गया।

कैंपटी पुलिस ने वारदात में प्रयोग दो वाहन टाटा नेक्सॉन एचआर 26 एफयू 1480 (हरियाणा) और हुंडई एक्सेंट यूके 07बीआर3995 (उत्तराखंड) को जब्त कर लिया। अब इन नंबरों के आधार पर जांच कर रही है कि कहीं यह कोई बड़ा गिरोह तो नहीं। घटना के बाद गांव में रोष और तनाव का माहौल है। ग्रामीणों ने साफ कहा कि बाहर से आए युवक गांव की बेटी को जबरन ले जाने की कोशिश कर रहे थे, और जब विरोध किया गया तो गोलियां चला दीं।

मसूरी कोतवाल संतोष कुंवर ने बताया कि घटना कैंपटी थाना क्षेत्र की है। दो गंभीर रूप से घायल युवक सोवीर मल्ल (24) निवासी हापुड़-मेरठ और सुख चेन (23) निवासी अमृतसर (पंजाब) को मसूरी अस्पताल लाया गया था, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर भेज दिया गया है। साथ ही 5 से 6 अन्य व्यक्तियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जल्द ही मामले का पूरा खुलासा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कैंपटी पुलिस का एक एसआई भी इस घटना में घायल हो गया था, जिसको भी देहरादून इलाज के लिये भेज दिया गया है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने ग्रामीणों के साहस की प्रशंसा करते हुए कहा कि राजनैतिक हस्तक्षेप की वजह से उत्तराखण्ड बाहरी प्रदेशों के गुंडों की शरणस्थली बनता जा रहा है। गढ़वाली और कुमाऊनी समाज को इस हस्तक्षेप से बचाने के लिए गंभीर मंथन किए जाने की जरूरत है।

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