विश्वगुरु को आज सीखने की सख्त जरूरत है

यह महिला स्वीडन देश की एक नागरिक हैं, जो  नौकरी से काम करने के बाद अपने घर वापस जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने अपने रात्रि भोजन के लिए एक बर्गर खरीदा है। यह फोटो उनके द्वारा तब खिंचवाई गई जब फोटोग्राफर ने उनसे फोटो खिंचवाने का आग्रह किया। इनके पास कारों का काफिला नहीं है कोई बॉडी गार्ड नहीं है और तो और कोई सहायक भी नहीं है।

इस महिला का नाम अल्वा जौहंसन है जो  स्वीडन की मजदूर मामलों की मंत्री हैं।

अरे स्वीडन कोई गरीब या विकासशील देश नहीं है, जो इन सब खर्चों को बर्दाश्त करने की क्षमता न रखता हो, बल्कि जनता के पैसों को सहूलियत से खर्च करने की इनकी अपनी बौद्धिक क्षमता है , जिस वजह से मंत्री भी आम नागरिक जैसा जीवन व्यतीत कर रहा है ,और यकीनन इससे सार्वजनिक उपक्रमों का सही तरीकों से चलने का क्रम निश्चित हो जाता है।
क्या हमारे देश के विश्वगुरु इन विकसित देशों की बौद्धिक क्षमताओं से कुछ सीख ले सकेंगे ?
साभार: राजीव लोचन साह , नैनीताल समाचार, नैनीताल, उत्तराखण्ड

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